जबलपुर के सेठ गोविंददास की मालगुजारी भूमि थी कलमेटा हार
देश की आजादी से पहले जबलपुर के सेठ गोविंददास यहां के मालगुजार थे और यह कलमेटा हार उन्हीं का था। बाद में उन्होंने मालगुजारी भवानीप्रसाद महाजन को सौंप दी तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी यह भूमि महाजन परिवार के पास है। महाजन परिवार के अखिलेश महाजन ने बताया कि करीब १०० एकड़ भूमि उनके दादा, परदादा ने दूसरे लोगों को बेच दी थी जिसके बाद अब २५० एकड़ भूमि उनके परिवार के पास बची है।
देश की आजादी से पहले जबलपुर के सेठ गोविंददास यहां के मालगुजार थे और यह कलमेटा हार उन्हीं का था। बाद में उन्होंने मालगुजारी भवानीप्रसाद महाजन को सौंप दी तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी यह भूमि महाजन परिवार के पास है। महाजन परिवार के अखिलेश महाजन ने बताया कि करीब १०० एकड़ भूमि उनके दादा, परदादा ने दूसरे लोगों को बेच दी थी जिसके बाद अब २५० एकड़ भूमि उनके परिवार के पास बची है।
नर्मदा नदी के वरदान स्वरूप मानी जाने वाली नर्मदा कछार की इस मिट्टी की विशेषता यह है कि यहां उपचारित बीज काम नहीं करते और देसी व परंपरागत खेती ही सफल मानी गई है। तीन माह तक कलमेटा हार की कृषि भूमि पानी में डूबी रहती है। खेतों में ३ से ४ फीट तक पानी भरा रहता है। प्रमुख रूप से यहां गुलाबी चना, मसूर और बटरी की फसलें ली जाती हैं। यहां की भूमि में एक एकड़ में चना का उत्पादन १० से १५ क्विंटल, मसूर का १५ से २५ क्विंटल और बटरी का ८ से १० क्विंटल तक प्राप्त किया गया है। कंकड़ रहित इस मिट्टी का उपयोग लोग दंत मंजन बनाने में और शैंपू की तरह भी करते हैं। यहां के किसान बीज डालने से लेकर फसल पकने तक किसी तरह के रासायनिक खाद और पानी का उपयोग नहीं करते।
कलमेटा बना ब्रांड
चना, मसूर और बटरी के व्यापारियों के बीच कलमेटा एक ब्रांड बन चुका है। यहां का गुलाबी चना अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। मसूर की क्वालिटी और अच्छे उत्पादन की वजह से कोलकाता की एक कंपनी ने कलमेटा के आसपास तीन दाल मिलें स्थापित कर दी हंै। यहां का चना, मसूर और बटरी कलमेटा ब्रांड के नाम से जाने जाते हैं।
वर्जन
नरसिंहपुर जिले का कलमेटा हार एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि है। यहां का चना, मसूर सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शासकीय दस्तावेजों में इस बात की पुष्टि की गई है। भूगोल की पुस्तकों में वर्षों से यह पढ़ाया जा रहा है। पहाड़ से बहकर आने वाली हब्र्स और अन्य जैविक तत्व भी इसे और उर्वरा बनाते हैं।
कैलाश सोनी, राज्यसभा सांसद
चना, मसूर और बटरी के व्यापारियों के बीच कलमेटा एक ब्रांड बन चुका है। यहां का गुलाबी चना अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। मसूर की क्वालिटी और अच्छे उत्पादन की वजह से कोलकाता की एक कंपनी ने कलमेटा के आसपास तीन दाल मिलें स्थापित कर दी हंै। यहां का चना, मसूर और बटरी कलमेटा ब्रांड के नाम से जाने जाते हैं।
वर्जन
नरसिंहपुर जिले का कलमेटा हार एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि है। यहां का चना, मसूर सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शासकीय दस्तावेजों में इस बात की पुष्टि की गई है। भूगोल की पुस्तकों में वर्षों से यह पढ़ाया जा रहा है। पहाड़ से बहकर आने वाली हब्र्स और अन्य जैविक तत्व भी इसे और उर्वरा बनाते हैं।
कैलाश सोनी, राज्यसभा सांसद