मां के नाम पर वार्ड का नाम भी बीजासेनवार्ड रखा गया
नरसिंहपुर•Oct 13, 2018 / 07:10 pm•
ajay khare
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गाडरवारा। करीब सवा सौ साल प्राचीन शहर के मध्य स्थित माता बीजासेन देवी मंदिर आस्था व श्रद्धा का केन्द्र है। मातारानी का मंदिर स्थापित होने के कारण इस काफ ी बड़े वार्ड का नाम भी बीजासेनवार्ड रखा गया है। यहां पर दूर-दूर से लोग पूजन अर्चन के लिए वर्षभर आते जाते हैं। मंदिर में प्रतिदिन सुबह एवं शाम को मातारानी के दर्शन एवं पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। वहीं शारदेय व चैत्र नवरात्र में यहां पर मातारानी के घट कलशों एवं दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाती है। बैठकी के दिन बोए जवारों के दर्शन पंचमी से चालू हो जाते हैं। पंचमी में बाजे-गाजे एवं पूजन अर्चन के साथ चंदेवा चढ़ाया जाता है एवं इसी दिन से प्रतिदिन तक जवारों की महाआरती का क्रम चालू हो जाता है। षष्ठमी के दिन मातारानी को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग का लगाया जाता है। मंदिर में करीब सवा सौ साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है, मंदिर में तीन प्रतिमाएं दिखाई दे रहीं हैं, जिनमें पहली बाएं पुरानी मातारानी की प्रतिमा है, दाएं भैरव दादा विराजमान है एवं बीच में माता रानी विराजमान हैं। यहां के आस्था ऐसी है कि नौ दिनों में हर दिन एक माता के भक्त द्वारा हलुआ का प्रसाद वितरण किया जाता है, प्रतिदिन देवी जसों का आयोजन चलता रहता है। महाआरती के दौरान यहां पर माता के भक्तों पर देवियां आती हैं, जिनके दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचते हैं। यहां के आस्था ऐसी है कि नौ दिनों में हर दिन एक माता के भक्त द्वारा हलुआ का प्रसाद वितरण किया जाता है, प्रतिदिन देवी जसों का आयोजन चलता रहता है। महाआरती के दौरान यहां पर माता के भक्तों पर देवियां आती हैं, जिनके दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचते हैं। महाआरती के दौरान यहां पर माता के भक्तों पर देवियां आती हैं, जिनके दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरूष पहुंचते हैं।
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