-एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से।
-एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का इंजेक्शन दूसरे को लगाने व सुई का उपयोग करने से।
-एचआईवी संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद हो सकता है।
-एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण करने से।
-एचआईवी संक्रमित होने से व्यक्ति जीवनभर संक्रमित रहता है, उसकी मृत्यु भी काफी दर्दनाक होती है, इस कारण इसकी चपेट में आने से अच्छा है बचाव करें, हमेशा जागरूक रहें।
-जीवन साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नहीं बनाएं।
-यौन संबंध असुरक्षित रूप से नहीं बनाएं, कंडोम का उपयोग करें।
-नशे के आदी व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई सुई या इंजेक्शन का उपयोग नहीं करें।
-एड्स पीडि़त महिला प्रेग्नेंट नहीं होएं, क्योंकि उनके द्वारा पैदा होने वाले बच्चे को भी ये हो सकता है।
-खून की आवश्यकता होने पर एचआइवी या एड्स से पीडि़त व्यक्ति का खून नहीं चढ़वाएं, हमेशा जांच करवाने के बाद ही खून चढ़वाएं।
-एड्स प्रभावित व्यक्ति के शरीर पर कोई घाव या चोट है तो उससे भी बचकर रहें।
-किसी भी व्यक्ति के द्वारा एक बार उपयोग की गई सीङ्क्षरज, इंजेक्शन, ब्लैड आदि का उपयोग नहीं करें।
-इसके बावजूद भी अगर किसी को एड्स हो जाता है, तो वह छुपाए नहीं, हर जिला मुख्यालय पर अस्पताल में एड्स का उपचार किया जाता है, आप वहां जाकर दवाईयंा लें, ताकि चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाईयां लेने से आप कुछ हद तक ठीक जीवन जी सकते हैं।
युवाओं के बीच इंजेक्शन से नशा करने की बढ़ती लत उन्हें एड्स का मरीज बनने की ओर धकेल रही है। जिले में साल 2013 से अभी तक कुल 499 युवा ऐसे मिले हैं जो इंजेक्शन के जरिए नशा कर रहे हैं।
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हालांकि इनमें से 173 युवा बीच में ही विभाग से संपर्क तोड़ चुके हैं, जबकि 326 युवा अभी भी विभाग से जुड़े हुए हैं। इन युवाओं में एड्स न फैले इसलिए एनजीओ के माध्यम से इन युवाओं को सीङ्क्षरज के पैकेट दिए जा रहे हैं, जिससे वे एक-दूसरे की सीङ्क्षरज का उपयोग न करें। विभाग के पास अभी इस वर्ग में एड्स से पीडि़त 8 युवा दर्ज हैं। जबकि 281 फीमेल सेक्स वर्कर हैं, जिनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। जिले में दो फीमेल सेक्स वर्कर भी एड्स से पीडि़त हैं। वहीं 277 गे भी एड्स के हाइरिक्स ग्रुप में शामिल हैं, जबकि 6 युवक एड्स से पीडि़त हैं।