52 शक्तिपीठों में हिंगलाज माता भी शामिल हैं। हिंगलाज देवी का मुख्य मंदिर यूं तो बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में है, पर अगर आप मप्र में भी मां हिंगलाज का दर्शन करना चाहते हैं, तो नर्मदापुरम के खर्राघाट आ सकते हैं। यहां करीब 11 फीट नीचे गुफा में हिंगलाज देवी की प्रतिमा स्थापित है।
नर्मदा के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर खर्राघाट पर, 11 फीट नीचे गुफा में स्थित माता हिंगलाज देवी विराजमान हैं। लोगों की आस्था है कि देवी की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है। हर नवरात्रि सहित अन्य दिनों में यहां दर्शन पूजन अर्चन करने वालों का तांता लगा रहता है। यह प्राचीन हिंगलाज माता का मंदिर देवी भक्तों की आस्था का केंद्र है।
गुफा में विराजमान थी माता- मंदिर के पुजारी भवानी शंकर तिवारी बताते हैं कि बात 1973 की है। शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी किनारे एक गुफा थी, जिसमें हिंगलाज देवी की मूर्ति विराजमान थी। यहां रहने वाले बाबा इसकी मूर्ति की पूजा करते थे, इस दौरान नर्मदा में आई बाढ़ के बाद यहां पर सब कुछ नष्ट हो गया। गुफा भी नष्ट हो गई, और मूर्ति का भी पता नहीं चल सका।
ठेकेदार को आया था सपना- पुजारी भवानी शंकर तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1990-91 में यहां नया रेल ब्रिज बनाया जा रहा था। भोपाल के ठेकेदार राजकुमार मालवीय को यहां काम करने में रुकावटें आ रही थी। ठेकेदार बेहद परेशान था। एक रात ठेकेदार को माता सपने में आई। सपने के मुताबिक ठेकेदार ने खुदाई कि तो मंदिर और देवी प्रतिमा का पता चला। जिसके बाद यह मंदिर अस्तित्व में आया। ठेकेदार का काम भी बढिय़ा चलने लगा।
साल भर चलता है भंडारा- शहर से करीब चार किलोमीटर दूर नर्मदा के खर्राघाट के किनारे स्थित माता हिंगलाज देवी का मंदिर मौजूद है। जहां साल भर भंडारे का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह शहर की आस्था का बड़ा केंद्र है। जहां सैकड़ों की संख्या में श्रदालु पहुंचते हैं। नवरात्र पर यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।