मरीजों को दवा भी टीम द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इस बात की भी निगरानी की जाती है कि मरीज नियमित दवा खा रहा है कि नहीं इसके बाद भी नियमित दवा नहीं लेने के कारण लगभग 10 प्रतिशत मरीज डिफाल्टर श्रेणी में आ रहे हैं।
31 टीबी मरीजों की मौत
विभाग का दावा है कि 90 फीसदी मरीज इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो रहे हैं। जबकि इस वर्ष 31 टीबी मरीजों की मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार टीबी मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में मरीजों को नियमित दवा के साथ प्रोटीन, फाइबर युक्त पौष्टिक भोजन भी आवश्यक होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण मरीजों को अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इन मरीजों को सुपोषित रखने पूर्व में पांच सौ रूपए की राशि इलाज जारी रहने तक प्रतिमाह जाती थी लेकिन अब इस राशि को बढ़ाकर एक हजार कर दिया गया है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीज को इलाज पूरा होने तक यह राशि दी जाती है।
जिला समन्वयक विशेष दुबे ने बताया कि 31 लोंगों की मृत्यु हुई है। लेकिन मृत्यु के अन्य कारण भी होते हैं। हृदय घाट, एक्सीडेंट आदि। दर साल टीबी के मरीज मिल रहे हैं। लेकिन इनमें से 90% टीबी मरीज ठीक भी हुए हैं। अति गंभीर मरीजों को भोपाल रेफर किया जाता है।
पॉजिटिव मरीजों में 70 प्रतिशत पुरुष
वर्तमान में टीबी मरीजों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। कुल पॉजिटिव मरीजों में 70 प्रतिशत पुरुष हैं। ये इटारसी, सुखतवा, नर्मदापुरम और पिपरिया में सामने आए हैं। जिला समन्वयक विशेष दुबे ने बताया इस वर्ष टीबी पीड़ित 31 लोगों की मृत्यु हुई है। बुजर्गों को टीबी के खतरे से बचाने सरकार द्वारा टीकाकरण भी किया जा रहा है। जिले में 41 हजार 200 लोगों को एडल्ट बीसीजी टीका लग चुका है।पांच साल के टीबी मरीजों के आंकड़े
2020 : 2300
2021 : 2715
2022 : 2745
2023 : 2541
2024 : 1821
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