यह भी पढ़ें
दिनदहाड़े सोने-चांदी की कर रहा था चोरी, लोगों ने मचाया हंगामा, नगदी समेत गिरफ्तार
बांस से बनाये जाते हैं अनेक वस्तुएं जब यह छोटे आकार की होती है तो इसे टुकनी कहते हैं। वही बड़े आकार वाली को डोली कहा जाता है। जिसमें धान अथवा अन्य अनाज भर कर रखा जाता है। बांस की टोकरी के अलावा बांस से बनाई जाने वाली अनेक वस्तुएं हैं। जिसे ग्रामीण आदिवासी प्राचीन काल में स्वयं से बनाते चले आ रहे हैं। जैसे बांस से बनी टोकरिया, सुपा, झांपी, कुमनी, डोली, झाप, चेरिया आदि कहते हैं।
यह भी पढ़ें
Ayodhya Ram Mandir : रामलला मंदिर प्रतिष्ठा के लिए घर-घर निमंत्रण, छत्तीसगढ़ में चलेगा अभियान
बांस से बनी वस्तुओ को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध माना गया है। इससे विभिन्न त्योहारों एवं अनुष्ठानों के अलावा रोजमर्रा में भी बांस व मुंज से बने सामानों का बहुतायत में उपयोग किया जाता है। लेकिन आधुनिकता दौर में पौराणिक महत्व की चीजें अब समाप्त होते जा रही है। इनकी जगह प्लास्टिक, स्टील, पीतल के बर्तनों ले ली है। लेकिन अबुझमाड़िया समुदाय बांस की कला को आज भी जीवित रखे हुए है।