बस्तर के इस जिले की पहचान अब तेजी से बदल रही है। केरल की तर्ज पर नारायणपुर को संवारने की पहल कोण्डागांव में नारियल बोर्ड ने की है। जिले को आर्थिक रूप से संपन्न करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। नारियल लोगों में लोकप्रिय है। नारियल बस्तर में बहुतायत में बिकता है। केरल और आंध्रप्रदेश से यहां बड़े पैमाने पर नारियल आता है, लेकिन अब आने वाले सालों बस्तर के लोग नारायणपुर के नारियल का स्वाद चखते नजर आएंगे। आने वाले समय मे नारायणपुर को लोग नारियलपुरम के रूप मे जानेंगे ।
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उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक तोषण चंद्राकर बताते हैं कि केरल की तर्ज पर नारायणपुर को संवारने की परिकल्पना पूर्ण रूप से सार्थक होगी। क्योंकि नारायणपुर की जलवायु नारियल के पेड़ के लिए अनुकूल है। केरल के कोच्चि स्थित नारियल विकास बोर्ड नारियल उत्पादन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अधीन कोंडागांव जिले को भी रखा गया है, जो आसपास के राज्यों ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना तक के क्षेत्र को नारियल की पूर्ति करता है। नारायणपुर जिले में उपजाऊ मिट्टी और मैदानी इलाकों वाले आंतरिक स्थान में भी नारियल के पेड़ों की अच्छी वृद्धि होगी। इससे आने वाले समय में नारियल का इतना अधिक उत्पादन होगा कि इस नारायणपुर को नारियल पुरम के नाम से जाना जाएगा।
वन मंत्री केदार कश्यप ने नारायणपुर को नारियल हब बनाने के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। कलेक्टर विपिन मांझी ने बताया कि केरल की तरह जिले को नारियल का हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। गांव-गांव में नारियल के पौधे बांटे जा रहे हैं।
जिले के एजुकेशन हब गरंजी, बंधवा तालाब, पुलिस लाइन, महाविद्यालय परिसर, आईटीआई सहित ग्रामीण इलाकों में इसका पौध रोपण किया जाएगा। वैसे भी नारायणपुर वन बाहुल्य है और अब इसकी खूबसूरती बढ़ाने के लिए यह संभव प्रयास किया जा रहा है। मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर इसके सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड समेत समस्त पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।