– 9 मार्च को नौगज बाबा व बंदी छोड़ बाबा के 38वें उर्स पर हिंदू-मुस्लिम एकता कमेटी करा रही कव्वाली
नागदा। हजरत ख्वाजा सैय्यद नौगज अली चिश्ती व हजरत सैय्यद अब्दुल मसउद समरकंदी (बंदीछोड़ बाबा) का 38वां उर्स 9 व 10 मार्च को जूना नागदा स्थित बंदी छोड़ बाबा की दरगाह पर मनाया जाएगा। इस अवसर पर हिंदू-मुस्लिम एकता कमेटी के तत्वावधान में भव्य कव्वाली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें अंतरराष्ट्रीय कव्वाल जुनैद सुल्तानी (बदायंू) अपने सुप्रसिद्ध कलाम सुनाएंगे। नागदा में तीसरी बार शिरकत कर रहें जुनैद हक निभाना मेरे हुसैन का कलाम प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। इससे पहले वर्ष 2019 व 2020 के उर्स में नागदा आ चुके जुनैद ने इसी कलाम पर दाद बटोरी थी। इसके अलावा जुनैद, अपनी मशहूर गजल- वे सारे तालाब में मेहंदी की चमक आज भी है भी सुनाएंगे। इसके अतिरिक्त देशभक्ति गीतों से समाज को एकता और भाईचारे के सूत्र में भी पिरोएंगे। रात 9 बजे से कव्वाली शुरु होगी। जिसमें जुनैद के अलावा हुसूफ फारुख साबरी एंड जाफार शादाब हुसैन पार्टी भी अपने कलाम पेश करेगी। कमेटी के अध्यक्ष सूफी शेरू बाबा चिश्ती निजामी ने बताया कि कव्वाली के इस कार्यक्रम में सूफी नगमे पेश किए जाएंगे। कार्यक्रम में हिंदू-मुस्लिम धर्म के सूफी संतों को भी आमंत्रित किया गया है।
मशहूर गायक गुलाम मुस्तफा खान के भांजे है जुनैद
सन 1991 में पद्मश्री, 2008 में पद्भूषण और 2018 में पद्म विभूषण से नवाजे जा चुके बॉलीवुड के मशहूर गायक गुलाम मुस्तफा खान से जुनैद का गहरा नाता है। जुनैद महशूर गायक गुलाम मुस्तफा के भांजे हैं। उन्हीं के सानिध्य में रहकर जुनैद कव्वाली के सितारे बनें जो आज दुनियाभर में अपनी चमक फैला रहें हैं। जुनैद की कव्वालियों में पारंपरिक वाद यंत्र ढोलक, तबला, ऑक्टोपेड की धुन होने से उनके नगमे को बेहद पसंद किया जाता हैं।
10 मार्च को होगा शाकाहारी लंगर
9 मार्च को कव्वाली के आयोजन से पहले बंदी छोड़ बाबा की दरगाह पर चादर पेश की जाएगी। वहीं 10 मार्च को दरगाह परिसर में ही शाकाहारी लंगर का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सर्वधर्म समाज को आमंत्रित किया गया है।
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