नागौर

श्रद्धा व समर्पण से असंभव भी संभव हो जाते हैं

Nagaur. जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में शनिवार को साध्वी बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि धर्म सभी मंगलों में सर्वोत्कृष्ट मंगल है

नागौरAug 14, 2021 / 10:58 pm

Sharad Shukla

Nagaur. Shravikas listening to discourses in Jaimal Jain Nursery

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में शनिवार को साध्वी बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि धर्म सभी मंगलों में सर्वोत्कृष्ट मंगल है। नवकार मंत्र में पंच परमेष्ठी को सर्वप्रथम मंगल बताया गया है। मंगल का अर्थ होता है विघ्नों का नाश करने वाला। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु इन पंच परमेष्ठी का श्रद्धा पूर्वक स्मरण करने से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। गुड़, दही, अक्षत आदि द्वारा मंगल तो कभी अमंगल रूप भी हो सकते हैं। धर्म कभी अमंगल नहीं हो सकता है। धर्म ही सच्चा विघ्नहर्ता, संकटमोचक, विघ्न विनाशक, बाधा निवारक एवं मंगल कारक होता है। धर्म के पुण्य प्रताप से सारे अड़चन, बाधा, अवरोध आदि दूर हो जाते हैं। हर कार्य में सफलता हासिल होती है। हर व्यक्ति जीवन में मंगल चाहता है। अत: उसके लिए धर्म का आलंबन लेना होगा। श्रद्धा एवं समर्पण के बल पर असंभव कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है। धर्म के प्रभाव से दुख, कष्ट, रोग, शोक आदि दूर होने से धर्म पर व्यक्ति की श्रद्धा और ज्यादा बढ़ जाती है। संत दर्शन एवं उनके मुखारविंद से जिनवाणी श्रवण करने मात्र से अनंत पुण्य वाणी का उपार्जन होता है। संतों एवं महापुरुषों के सानिध्य में बैठने से उनके ओरे के प्रभाव से जीव को अमिट शांति की अनुभूति होती है। सत्संग एवं धर्म के महत्व को समझने वाला ही उसके प्रति रुचि रखते हुए उसे आचरण में उतारने हेतु तत्पर बन सकता है। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर महावीरचंद भूरट, मनोज ललवानी, दीक्षा चौरडिय़ा एवं प्रेमलता ललवानी ने दिए। विजेताओं को सूरजदेवी, मदनलाल सुराणा की ओर से पुरस्कृत किया गया। प्रवचन की प्रभावना नेमीचंद, नरेश चौरडिय़ा की ओर से वितरित की गयीं। संचालन संजय पींचा ने किया। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट ने लिया। इस मौके पर ज्ञानचंद माली, फतेहचंद छोरिया, भीखमचंद ललवानी, हरकचंद ललवानी, दीपक सैनी आदि मौजद थे।

 

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