नागौर

ऐसी क्या भूख, जनता हो रही परेशान, नेताओं को फीता काटने की फिक्र

– राजनीति के चक्कर अधरझूल में अटकी एमसीएच विंग की शिफ्टिंग
– एमसीएच विंग का 70 प्रतिशत सामान पुराना अस्पताल भवन में ला चुके, पीछे बिना बेड व संसाधन परेशान हो रहे मरीज व मेडिकल स्टाफ
– नेताओं को फीता काटने का ऐसा लालच की जनता की फिक्र ही नहीं

नागौरJul 04, 2024 / 09:44 pm

shyam choudhary

नागौर. जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल की मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) इकाई को पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट करने की प्रक्रिया राजनीति में उलझ गई है। अस्पताल प्रबंधन ने एमसीएच विंग का 70 फीसदी से अधिक सामान (बेड, उपकरण, ऑपरेशन टेबल आदि) पुराना अस्पताल में शिफ्ट कर दिया है, लेकिन विंग को शिफ्टिंग की प्रक्रिया पर विराम लग गया है, ऐसे में पीछे शेष रहे आधे-अधूरे संसाधनों के कारण मरीजों के साथ डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। पिछले करीब एक-डेढ़ महीने से एमसीएच विंग में न तो बच्चेदानी के ऑपरेशन हो रहे हैं और न ही मरीजों को पूरा उपचार मिल रहा है। ऐसे में मरीज एवं उनके परिजन अब यह कह रहे हैं कि ‘नेताओं को फीता काटने की चिंता है, जनता चाहे भाड़ में जाए।’ अन्यथा केवल शिफ्टिंग जैसे काम में फीता काटने की लालसा नहीं होनी चाहिए।
एमसीएच विंग का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, इंजीनियर्स ने इसे सात महीने पहले कंडम घो​षित कर दिया था।
हादसा हो गया तो कौन लेगा जिम्मेदारी

शहर के पुराने अस्पताल में जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग को शिफ्ट करने का निर्णय भवन कंडम होने के कारण लिया गया है। शुरू से ही विवादों में रहे एमसीएच विंग के भवन की 5 साल में ही जर्जर हालत होने पर चिकित्सा विभाग ने जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम से जांच करवाई। टीम ने 19 सितम्बर 2023 को नमूने लेकर अक्टूबर में रिपोर्ट दी, जिसमें टीम ने एमसीएच विंग के भवन को पूरी तरह कंडम बताया। रिपोर्ट मिलने के बाद एनएचएम के तत्कालीन एमडी डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी एक दिसम्बर 2023 को आदेश जारी कर भवन खाली करने के निर्देश जारी किए। साथ ही एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल भवन शिफ्ट करने के निर्देश भी दिए। सात महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक एमसीएच को शिफ्ट नहीं किया गया है। अब बारिश का मौसम भी शुरू हो चुका है, यदि कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदारी लेगा।
mch wing
एमसीएच विंग का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, इसको लेकर पत्रिका में कई बार खबरें प्रका​शित हो चुकी हैं।

फीता काटने का शौक है तो सेटेलाइट अस्पताल खोलें

खुले रूप से सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर व नर्सिंग कर्मचारी यह कह रहे हैं कि नेताओं को फीता काटने का इतना ही शौक है तो पुराने अस्पताल भवन में सेटेलाइट अस्पताल या शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्वीकृति प्रदान करवाएं, जिसकी शहरवासी लम्बे समय से मांग कर रहे हैं। यह तो केवल एमसीएच विंग की शिफ्टिंग है। अभी जेएलएन अस्पताल परिसर में चल रही है, जिसे कुछ समय के लिए पुराना अस्पताल में संचालित किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद अस्पताल परिसर में जैसे ही नया भवन तैयार होगा, इसे वापस वहीं शिफ्ट किया जाएगा।
पीएमओ को एपीओ करने से डरने लगे डॉक्टर

एमसीएच विंग की शिफ्टिंग करने में जुटे पूर्व पीएमओ डॉ. महेश पंवार को गत माह चिकित्सा विभाग ने एपीओ कर दिया था। हालांकि एपीओ आदेश में कारण नहीं बताया गया, लेकिन यही माना जा रहा है कि उन्होंने ‘ऊपरवालो’ की अनुमति लिए बिना आदेश निकालकर शिफ्टिंग की तारीख 19 जून तय कर दी। हालांकि बाद में उसे निरस्त कर दिया, लेकिन पीएमओ पर गाज गिर गई। उसके बाद अस्पताल का कोई भी डॉक्टर शिफ्टिंग को लेकर बयान देने से बच रहा है। उनका कहना है कि ‘धणी रो धणी कुण।’
अटक सकती मेडिकल कॉलेज की प्रवेश प्रक्रिया

राजनीति के चक्कर में जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग की शिफ्टिंग अटकाने से एक ओर जहां मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है, वहीं जिले को बड़ा नुकसान हो सकता है। एमसीएच विंग की शिफ्टिंग के अभाव में एनएमसी का निरीक्षण नहीं हो पाएगा। बिना निरीक्षण के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया की हरी झंडी नहीं मिलेगी।

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