मानसून देरी से आने के साथ बारिश अनियमित और लंबे समय के अंतराल से होती है। ऐसे में विगत रात्रि हुई 46 एमएम (करीब 2 इंच) बारिश से ठंडे हुए मौसम के बाद आगामी मानसून और खरीफ सीजन को लेकर किसानों की चिताएं बढ़ गई है। मारवाड़ी में कहावत है ‘चैत्र चिड़पड़ा, सावन निरमला…’। जिसका अर्थ है अगर चैत्र में बारिश होती है तो सावन में मानसून निर्मल यानी कमजोर रहता है। ऐसा इस बार हुआ है। चैत्र के साथ वैशाख में भी बिन बुलाई बारिश देखने को मिली। बिन मौसम की यह बारिश बाकी सब तरह से अच्छी है। मौसम ठंडा हो गया है, लोगों को गर्मी से राहत मिल गई लेकिन किसानों के लिए इस बारिश के अच्छे संकेत नहीं है। मंगलवार रात्रि 9 से साढ़े 12 बजे तक हुई बारिश के साथ ही इन दिनों हो रही बरसात से जून में एक्टिव होने वाला मानसून प्रभावित हो सकता है और अगर मानसून प्रभावित होता है तो इसका सीधा असर खरीफ सीजन की बुवाई से लेकर उत्पादन तक देखने को मिलेगा।
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मेड़ता में सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) के पद पर रह चुके कृषि वैज्ञानिक अणदाराम चौधरी के अनुसार इन दिनों हो रही बारिश किसी भी लिहाज से फायदा पहुंचाने वाली नहीं है। दरअसल, होता यों है कि अगर मानसून से पूर्व मार्च, अप्रेल या मई में बारिश हो जाती है तो उससे क्लाइमेट चेंज देखने को मिलता है। बारिश से मौसम ठंडा हो जाता। फिर मानसून बन नहीं पाता। क्योंकि मानसून के बनने के लिए अधिक तापमान, गर्म हवाएं होनी चाहिए। जो इन दिनों हुई वर्षा के चलते देखने को नहीं मिल रही है। अब इसका प्रभाव मानसून तंत्र पर पड़ेगा और इस बार मानसून देरी से एक्टिव हो सकता है। साथ ही मानसून में बारिश का अंतराल और बरसात अनियमित भी हो सकती है। इसका खरीफ पर निगेटिव इम्पैक्ट यह पड़ेगा कि समय पर वर्षा नहीं होने से खेतों में बुवाई देरी से हो सकती है और बुवाई के बाद जो फसलें होगी वो झुलस सकती है।
20 जून के बाद आना है मानसून, देरी के आसार
इस बार तय समय से पहले 31 मई 2023 तक मानसून केरल तट पर पहुंच सकता है। राजस्थान में मानसून की एंट्री 20 जून के बाद होगी। मौसम विभाग ने 30 मई तक मानसून को केरल तक पहुंचने की भविष्यवाणी की है। लेकिन इस बार जो पहले बारिश हुई है उसके बाद मानसून बनने में देरी और प्रदेश में लेट एंट्री हो सकती है।
चैत में बरसणे रे पचे सावण में मामलों मोळो…’
म्हाका बडेरा तो ओई कहता कि चैत चिड़पड़ा, सावन निरमला…। चैत में बरसात होईगी तो नुकसाणदायक ही है ज्यादा फायदो कौनी। चैत में बरसात रे पचे सावण में मामलों मोळो ही रेवे। ई बार तो पूरो चैत ही बरसतो दिख्यो।’
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कपास की बुवाई पर एकबारगी लगेगा ‘स्टॉप’
इन दिनों हुई बारिश से कपास की बुवाई पर भी एकबारगी ’स्टॉप’ लगेगा। जिन किसानों ने कपास की बुवाई कर दी है उनको तो फायदा हो जाएगा क्योंकि बीजों को पानी मिलने से अंकुरित होने में उन्हें मदद मिल सकेगी। लेकिन जो बुवाई के तैयारी में थे, उन्हें अब खेत फिर से जोतने पड़ेंगे। कपास बुवाई का पीक टाइम 1 से 10 मई तक होता है और उसके बाद अगले 20 दिनों तक भी अलग किस्म के बीज से बुवाई चलती रहती है।