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नागौर

आजादी के बाद बने नागौर जिले के दो भाग, जानिए क्या रहेगा ग णित

19 जिलों की सूची में डीडवाना-कुचामन का नाम एक साथ- पिछले करीब एक दशक से की जा रही थी नया जिला बनाने की मांग

नागौरMar 18, 2023 / 02:26 pm

shyam choudhary

आजादी के बाद बने नागौर जिले के दो भाग

आजादी के बाद बने नागौर जिले के दो भाग

नागौर. क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश के पांचवें सबसे बड़े जिले नागौर का पुनर्गठन कर दो जिले बनाने की मांग शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरी कर दी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 19 नए जिले बनाने की घोषणा की, जिसमें डीडवाना-कुचामन का नाम शामिल किया गया है। नागौर से बने डीडवाना-कुचामन में कौन-कौनसे क्षेत्र आएंगे, यह अभी तय नहीं हो पाया है, लेकिन मोटे तौर पर देखा जाए तो नागौर में नागौर, खींवसर, मेड़ता, डेगाना व जायल विधानसभा क्षेत्र तथा डीडवाना-कुचामन में डीडवाना, लाडनूं, नावां, मकराना व परबतरसर विधानसभा को शामिल किए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि वर्तमान में नागौर जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से 17 हजार 718 वर्ग किलोमीटर भू-भाग में फैला हुआ है और जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश का चौथा सबसे बड़ा जिला है। एक अनुमान के अनुसार जिले की जनसंख्या 40 लाख पहुंच चुकी है, ऐसे में नागौर के दो जिले बनाने की मांग काफी प्रबल थी। भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो जिला मुख्यालय एक तरह से अंतिम छोर पर ही स्थित है। ऐसे में प्रशासनिक दृष्टि से कामकाज के संचालन में बड़ी बाधाएं आ रही थी। अफसरों के पास तो साधन संसाधन होते हैं, लेकिन आमजन को यदि जिला मुख्यालय पर कोई कार्य हो तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इससे प्रशासन की पकड़ कमजोर और विकास भी कम हो रहा था। जिले की प्रमुख तहसीलों की जिला मुख्यालय से दूरी देखें तो नावां 148 किलोमीटर, परबतसर 135 किलोमीटर, मकराना 113 किलोमीटर, डीडवाना 100 किलोमीटर तथा लाडनूं 93 किलोमीटर है। नावां उपखंड के अंतिम छोर के गांव मींडा और घाटवा की जिला मुख्यालय से दूरी करीब 200 किलोमीटर है।

वर्तमान में जिले की स्थिति
जिले में कुल मतदाता – 26,29,141
महिला – 12,67,250
पुरुष – 13,61,891

अनुमानित कुल जनसंख्या : 40 लाख

गत वर्ष मांगे गए थे प्रस्ताव
राजस्थान में नए जिलों के गठन को लेकर सरकार ने गत वर्ष पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। इसके बाद कमेटी ने जिला कलक्टर से नए जिले बनाने के प्रस्ताव मांगे थे। जिसमें अकेले नागौर से डीडवाना, कुचामन के साथ मकराना, परबतसर व मेड़ता को भी जिला बनाने की मांग उठी थी। प्रदेश भर से 50 जगहों से नए जिला बनाने की मांग उठी। गौरतलब है कि 26 जनवरी 2008 में प्रतापगढ़ आखिरी जिला बना था। करीब 15 साल बाद मुख्यमंत्री ने एक साथ 19 जिले बनाए हैं।

डीडवाना या कुचामन संशय बरकरार
यूं तो जिले से डीडवाना, कुचामन, मकराना, परबतसर व मेड़ता क्षेत्र के संगठनों व जनप्रतिनिधियों ने जिला बनाने की मांग की थी, लेकिन सरकार 19 जिलों की सूची में डीडवाना-कुचामन का नाम एक साथ बोला है। यानी दोनों को मिलाकर एक जिला बनेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद यह चर्चा का विषय बन गया कि जिला मुख्यालय डीडवाना रहेगा या कुचामन। क्योंकि वर्तमान स्थिति एवं मौजूदा संसाधनों को देखते हुए दोनों पक्ष मजबूत है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में डीडवाना को जिला बनाने के उद्देश्य से सरकारी ढांचा तैयार किया गया एवं विकास करवाए गए। वहीं पिछले साढ़े चार साल में कुचामन को जिला बनाने की दृष्टि से प्रशासनिक एवं पुलिस सहित अन्य संसाधन जुटाए गए हैं। दोनों ही स्थानों पर एडीएम व एएसपी स्तर के अधिकारी बैठते हैं तथा अन्य सुविधाएं भी यहां लगभग समान हैं।

पत्रिका ने लगातार उठाया मुद्दा
नागौर के दो जिले बनाने की मांग को लेकर राजस्थान पत्रिका ने लगातार मुद्दा उठाया। गत वर्ष पत्रिका ने अभियान चलाकर इस दिशा में वातावरण तैयार किया। पत्रिका ने बताया कि क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का पांचवां व जनसंख्या की दृष्टि से चौथा सबसे बड़ा जिला होने से नागौर के नावां, परबतसर, लाडनूं, मकराना, कुचामन आदि क्षेत्रों के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने नए जिलों की घोषणा करते हुए कहा कि कई जिलों में जिला मुख्यालय की दूरी 100 किलोमीटर से दूर है, जबकि नागौर में तो नावां, कुचामन, परबतसर व मकराना क्षेत्र के गांवों की दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर तक है।

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