पत्रिका न्यूज नेटपर्क नागौर. अब नागौर जिले के 601 सरकारी स्कूल में स्मार्ट क्लास-रूम के जरिए बच्चों को नए जमाने के तरीकों से पढ़ाया जाएगा। नए सत्र से इसकी शुरुआत होने का दावा किया जा रहा है पर मामला कुछ ज्यादा ही धीमा है। दस जून तक कार्य पूरा करने को कहा था पर नागौर जिले में अभी तक एक भी स्मार्ट क्लास रूम नहीं बन पाया है। पढ़ाई पहले से ज्यादा सुविधाजनक और हाईटेक हो, इसके चलते यह सरकार प्रयास कर रही है। पढ़ाई का यह बदला तरीका न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी आसान है। इसका जिम्मा निजी कंपनी को सौंपा गया है।
पढ़ने -पढ़ाने का आधुनिक तरीका स्मार्ट क्लास रूम में आईएफपीडी (इंट्रेक्टिव फ्लेट पेनल डिसप्ले-स्मार्ट टीवी) होगा। पेन-ड्राइव के माध्यम से अलग-अलग विषय पर बच्चों को विजुअल के साथ शिक्षा दी जा सकेगी। शिक्षक एवं विद्यार्थियों को नई शैक्षिक तकनीकी प्रदान करने के हिसाब से नागौर के 601 सहित प्रदेशभर के नौ हजार 401 स्कूलों में यह स्मार्ट क्लास रूम बनने हैं। सॉफ्टवेयर के साथ यहां कंटेंट इनबिल्ड होगा, ताकि बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान दिया जा सके।
धीमी गति से चल रहा है काम राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के बैनर तले हो रहा यह काम मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू होकर दस जून तक समाप्त होना था। अप्रेल में स्मार्ट टीवी की सप्लाई होकर नए सत्र से पहले सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनने का काम पूरा होना था, लेकिन धीमी गति से चल रहा यह कार्य अगस्त तक भी पूरा होने की उम्मीद नहीं है। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक डॉ मोहनलाल यादव ने मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) को संबंधित फर्म के प्रतिनिधियों से समन्वय कर समय पर काम पूरा करवाना सुनिश्चित करने को कहा है। आलम यह है कि प्रतिनिधि से बात करने के लिए जब शिक्षा अधिकारी फोन करते हैं तो कोई रिसीव ही नहीं करता।
ऐसा होगा स्मार्ट क्लास रूम स्मार्ट क्लास रूम में ब्लैक-बोर्ड की जगह स्मार्ट टीवी और बाइट बोर्ड पर पढ़ाई करवाई जाएगी। टीचर के हाथ में चॉक की जगह स्टाइलस डिवाइस होंगे। पढ़ाई के इस नए तरीके में बच्चों को हर चीज वीडियो और ग्राफिक्स के जरिए समझाई जाएगी। ई-कंटेंट भी डवलप किया जाएगा। छात्रों की जरूरत के हिसाब में इसमें जानकारी दी जाएगी।
एक नजर -दस जून तक बन जाने थे जिले के 601 स्कूल में स्मार्ट क्लास रूम। -अब तक एक भी नहीं बना मतलब कि काम शुरू ही नहीं हो पाया। इनका कहना है
नए तरीकों से बच्चों को शिक्षा देने के लिए 601 स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनने हैं। इसका ठेका भी दे दिया गया है। अभी तक एक भी स्कूल में स्मार्ट क्लास रूम नहीं बन पाया है।
-नरेंद्र गौरा, कार्यक्रम अधिकारी समग्र शिक्षा नागौर