रोजगार की तलाश में गए, आज सैकड़ों को दे रहे जिले के झोरड़ा निवासी रामनिवास भाकर व मदनराम भाकर करीब 30 साल पहले रोजगार की तलाश में गुजरात के बड़ौदा शहर गए। कुछ दिन क्षेत्र के सुथार व्यवसायी के यहां काम किया। बाद में उन्हें दूसरी जगह काम ढूंढ़ना पड़ा। धीरे-धीरे काम सीखने लगे और फिर खुद ही होटलों में इंटीरियर डिजाइनिंग का कार्य करने लगे। भाकर बंधुओं के भाई हनुमान भाकर ने बताया कि दोनों भाइयों ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए पहला बड़ा काम कोलकाता की आईटीसी होटल का लिया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज देशभर की फाइव स्टार होटलों में मार्बल, रंग-रोगन, पॉलिस सहित इंटीरियर डिजाइनिंग का काम करते हैं। इन्होंने अपने यहां नागौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को रोजगार दिया है। भाकर बंधु व्यवसाय में सफल होने के बावजूद अपने क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर समाजसेवा भी करते हैं। चाहे शिक्षण संस्थानों में कमरे बनाने हो या फिर सीसी टीवी कैमरे लगाने सहित अन्य सुविधाएं विकसित करनी हों। जरूरतमंद परिवारों को संकट की घड़ी में सहयोग देना हो या फिर निराश्रित गायों के लिए गोशाला में सहयोग देना हो, कभी पीछे नहीं रहते। चिकित्सा के क्षेत्र में कोरोना काल में जिला प्रशासन को 5 लाख का सहयोग भी दिया। झोरड़ा में लगने वाले वाले हरिराम बाबा मेले में पिछले 13 साल से जल सेवा कर रहे हैं।
बाइसर के भाटी हैदराबाद में बन गए ‘मामासेठ’ ‘मामासेठ’ के नाम से प्रसिद्ध ताऊसर के बाइसर बास निवासी रामवल्लभ भाटी ने समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। करीब 60 साल पहले 15 वर्ष की उम्र में हैदराबाद में अपनी बहन के यहां गए भाटी ने कुछ समय तक वहां पढ़ाई करने के बाद खुद की किराणा व ड्राई फ्रूट की दुकान खोली। अपने व्यवहार से परदेस में ग्राहकों का ऐसा मनमोहा कि भाटी कुछ ही सालों में ‘मामासेठ’ बन गए। समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के संबंध में भाटी ने पत्रिका को बताया कि जो कुछ है, वो भगवान का है और वो ही करते हैं। उनके यहां मुनीम के रूप में काम करने वाले 30 से अधिक लोग आज खुद ‘सेठ’ बन चुके हैं। मामा सेठ हैदराबाद में माली समाज के अध्यक्ष हैं और समाजसेवा के क्षेत्र में हैदराबाद के साथ नागौर में भी हर जगह सहयोग देते हैं। उन्होंने 30 साल पहले गांव में बालिकाओं के लिए खुद के खर्च पर अलग से विद्यालय भवन बनाकर दिया। यह तो एक बानगी है, माली समाज का सामूहिक विवाह समारोह हो या फिर धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम, भाटी हर प्रकार का सहयोग देते हैं। एक प्रकार से नागौर में मामा सेठ का नाम दानदाता का पर्याय बन चुका है। वे यहां होने वाली सामाजिक स्तर की हर गतिविधि में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय रहते हैं।