पहले किया गड़बड़झाला, अब उसे दबाने के लिए दूसरा कर रहे निम्बड़ी ग्राम पंचायत में वर्ष 2020-21 में फर्जीवाड़ा करके उठाए गए भुगतान को लेकर गत दिनों ग्रामीणों ने सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत कर दी। इसके बाद ग्रामीण बाबूलाल, रासनिवास सहित अन्य ने जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित को भी शिकायत करके जांच की मांग की। शिकायत की जानकारी मिलते ही भ्रष्टाचार करने वालों ने नए मस्टररोल जारी करके पुराने को दबाने के लिए नया फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया।
शिकायत में ये भी लगाए आरोप ग्रामीणों ने जिला कलक्टर को 98 पेज की शिकायत दी है, जिसमें ग्राम पंचायत की ओर से किए गए फर्जीवाड़े के सबूत भी हैं। ग्रामीणों ने शिकायत में बताया कि जिम्मेदारों ने अपने चेहतों को लाभ देने के लिए ढाढरिया का काम निम्बड़ी में तथा निम्बड़ी का काम ढाढरिया कला में होना बताया है।
– वाउचरों में भुगतान किसे दिया गया, इस कॉलम को खाली छोडऩा व चेक जारी करने की तिथि एक जनवरी 1900 लिखना संदेह उत्पन्न करता है। – सरकारी कर्मचारी की पत्नी को वेंडर के रूप में पंजीकृत कर भुगतान करना।
– जॉब कार्ड में एक ही व्यक्ति के हिन्दी व अंग्रेजी में नाम लिखकर अलग-अलग भुगतान जारी करवाना। – एक ही कार्य को अलग-अलग नाम देकर दोहरा भुगतान करने सहित विभिन्न कार्यों में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा करने की शिकायत है।
काम अलग-अलग, श्रमिक वो ही निम्बड़ी ग्राम पंचायत में वर्तमान में 9 मस्टररोल चल रहे हैं, इनमें जिन श्रमिकों की फोटो के साथ हाजिरी भरी जा रही है, उसमें भी पूरी तरह फर्जीवाड़ा हो रहा है। ग्राम पंचायत के मस्टररोल संख्या 16512, 16513 व 16514 में श्रमिकों की संख्या 10-10 बताई जा रही है, लेकिन जो फोटो अपलोड किया गया है, वो एक ही है और उसमें पूरे दस श्रमिक भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। यानी एक ही फोटो को तीन मस्टररोल में काम लिया जा रहा है। इसी प्रकार दूसरे मस्टररोल में भी एक ही फोटो को बार-बार उपयोग लिया जा रहा है। हास्यास्पद बात तो यह है कि मस्टररोल संख्या 16520 में तीन दिन से एक श्रमिक काम कर रहा है और तीनों दिन उसकी एक ही मुद्रा की फोटो अपलोड हो रही है, जिसमें वह मोबाइल लेकर खड़ा है।
बीडीओ ने गठित की जांच कमेटी मूण्डवा बीडीओ अमित कुमार ने पत्रिका को बताया कि सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने पर उन्होंने चार जनों की जांच कमेटी गठित की है। कमेटी ने मौका भी देखा है, रिपोर्ट आने के बाद ही शिकायत को लेकर कुछ कह पाएंगे। उधर, ग्रामीणों का कहना है कि गड़बड़झाले में पंचायत समिति स्तर के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल है, इसलिए उन्होंने शिकायत जिला कलक्टर को दी है। सम्पर्क पोर्टल पर उन्होंने 30 सितम्बर को शिकायत की थी, लेकिन बीडीओ ने 18 अक्टूबर को जांच कमेटी बनाई।
सीईओ को दिए जांच के आदेश नरेगा से संबंधित शिकायत की जांच जिला परिषद सीईओ को दी है। नरेगा की जांच में थोड़ा समय लगता है, इसलिए अभी कुछ कह नहीं सकता। – अरुण कुमार पुरोहित, जिला कलक्टर, नागौर