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नागौर

प्रदेश की माध्यमिक स्तर सरकारी स्कूलों में 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों की पढ़ाई का बंटाधार

व्याख्याताओं के 17 हजार तो वरिष्ठ अध्यापकों के 25 हजार से अधिक पद रिक्त, ऐसे में बच्चों को कौन पढ़ाए
– वर्तमान में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में व्याख्याता के 17 हजार से अधिक पद रिक्त

नागौरJul 21, 2024 / 11:03 am

shyam choudhary

School time
नागौर. शिक्षा विभाग एक तरफ सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन कर रहा है, वहीं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वरिष्ठ अध्यापकों, व्याख्याताओं के साथ उप प्रधानाचार्य एवं प्रधानाचार्य के हजारों पद लम्बे समय से रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई का बंटाधार हो रहा है। बिना शिक्षकों की स्कूलों में विद्यार्थियों प्रवेश लेना तो दूर उल्टा नाम कटवाकर निजी की ओर रुख कर रहे हैं, यही कारण है कि जिले सहित प्रदेश भर में लाखों विद्यार्थियों का नामांकन बढऩे की बजाए इस साल कम हो गया है, इसके बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
बड़ा सवाल – किसके भरोसे लें प्रवेश

सरकारी स्कूल के एक संस्था प्रधान ने बताया कि उच्चाधिकारी प्रवेशोत्सव के माध्यम से नामांकन बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं, इसके लिए शिक्षकों ने घर-घर जाकर शिक्षा से वंतिच बच्चों के नाम भी लिखे और अभिभावकों से भी समझाइश की, लेकिन विद्यालय में जब शिक्षक ही नहीं हैं तो उन्हें पढ़ाएगाकौन? आखिरकार जवाब तो उन्हें ही देना पड़ेगा।
माध्यमिक शिक्षा : प्रदेश में पदों की वर्तमान स्थिति

पदनाम- स्वीकृत – कार्यरत – रिक्त

प्रधानाचार्य – 17,938 – 10,848 – 7090

उप प्रधानाचार्य – 12,424 – 383 – 12,041

व्याख्याता – 55,017 – 42,171 – 12,846
वरिष्ठ अध्यापक – 91,054 – 65,658 – 25,396

अध्यापक – 1,03,061 – 79,781 – 23,280

शा. शिक्षक – 15,555 – 12,816 – 2739

कुल स्वीकृत 3,70,000

कुल कार्यरत 2,45,328

कुल रिक्त पद 1,24,872
उप प्रधानाचार्य के 4700 पद भरे, उतने व्याख्याता के खाली हो गए

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने हाल ही में व्याख्याताओं को पदोन्नति देकर उप प्रधानाचार्य बनाया है। पदोन्नति से उप प्रधानाचार्य के 4700 पद भरे गए हैं, इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। वहीं दूसरी तरफ उप प्रधानाचार्य के जो 4700 पद भर गए, लेकिन व्याख्याता के रिक्त पदों में 4700 की बढ़ोतरी हो गई है। यानी वर्तमान में व्याख्याताओं के 12,846 पद रिक्त हैं, इनमें यदि 4700 और जोड़ दें तो यह संख्या 17 हजार से अधिक हो गई है।
यह भी विडम्बना : अनिवार्य विषयों के व्याख्याता ही नहीं

राज्य में वर्ष 2013 के बाद क्रमोन्नत किसी भी विद्यालय में अनिवार्य विषयों हिन्दी व अंग्रेजी के व्याख्याता पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं। 17 हजार में से केवल 4 हजार विद्यालयों में ही अनिवार्य विषयों के व्याख्याता पद स्वीकृत हैं। प्रदेश के 13 हजार से अधिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य भाषा विषयों के व्याख्याताओं के पद ही स्वीकृत नहीं है। इन सभी विद्यालयों में केवल वैकल्पिक विषयों (प्रति विद्यालय 3-3) व्याख्याता पद ही स्वीकृत हैं। शिक्षक नेताओं का कहना है कि सरकार ने 2013 के बाद क्रमोन्नत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य विषय हिन्दी और अंग्रेजी के व्याख्याता पदों का सृजन नहीं किया है, जबकि विद्यालय क्रमोन्नति के तीसरे वर्ष से अनिवार्य विषयों पर व्याख्याता पद सृजित करने का नियम बना हुआ है।
विद्यार्थियों का भविष्य हो रहा चौपट

विद्यालयो में शिक्षकों के रिक्त पदों की भरमार है, जिसके कारण सरकारी स्कूलों विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। सरकार को 4 सत्र से बकाया चल रही व्याख्याता डीपीसी अतिशीघ्र की जानी चाहिए। क्रमोन्नत 6 हजार स्कूलों में व्याख्याता पदों की स्वीकृति जारी की जाकर सीधी भर्ती व पदोन्नति से पद भरे जाने चाहिए, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई सुचारू हो सके। अन्यथा पदरिक्तता के कारण विद्यार्थियों का भविष्य चौपट हो रहा है। इस तरफ सरकार की ओर से गंभीरता से ध्यान दिया जाकर रिक्त पदों को भरने के लिए त्वरित कार्य किया जाना चाहिए।
– बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ

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