गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के सहयोग से करोड़ों रुपए खर्च कर प्रदेश में 46 पैनोरमा बनाए गए थे, ताकि पर्यटकों एवं भावी पीढ़ी को प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक धरोहर की जानकारी मिल सके। सरकार ने नागौर जिले में भी चार पैनोरमा निर्माण करवाए, जिनमें वीर तेजाजी पैनोरमा खरनाल, वीर अमरसिंह राठौड़ पैनोरमा नागौर, गुरु जम्भेश्वर पैनोरमा पीपासर व भक्त मीराबाई पैनोरमा मेड़ता सिटी शामिल हैं। इनमें मीराबाई पैनोरमा के अलावा तीनों पर पिछले काफी समय से ताले लगे हैं।
एक साल बाद भी नहीं ली सुध तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2018 के चुनाव से पहले जाते-जाते प्रदेश के 16 पैनोरमा का उद्घाटन किया था, जबकि तीन पैनोरमा का शिलान्यास किया, लेकिन इनके सफल संचालन की कोई व्यवस्था नहीं की, जिसके चलते आज ज्यादातर पैनोरमा धूल फांक रहे हैं। कांग्रेस की गहलोत सरकार ने पांच साल में एक बार भी इन पैनोरमा के ताले खोलने या इनकी खैर-खबर लेने का प्रयास नहीं किया। कांग्रेस सरकार के बाद भाजपा की सरकार बने हुए एक साल हो चुका है। सरकार इन दिनों एक साल के कार्यकाल का जश्न भी मना रही है, लेकिन पैनोरमा खोलने को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। गौर करने वाली बात यह है कि भजनलाल सरकार ने वसुंधरा राजे सरकार में जो राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष थे, उन्हीं ओंकारसिंह लखावत को वापस प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया, लेकिन उन्होंने इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया है। जबकि नागौर के तीनों पैनोरमा उनकी देखरेख में ही बने थे।
लोक देवता वीर तेजाजी का पैनोरमा हुआ क्षतिग्रस्त, नहीं हो रही मरम्मत लोक देवता वीर तेजाजी के जीवन से जुड़ी घटनाओं के साथ उनके आदर्शों एवं सिद्धांतों की जानकारी आमजन को देने के लिए खरनाल में करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया तेजाजी पैनोरमा सुचारू रूप से अब तक नहीं खोला गया है। शुरू के दो वर्ष ग्रामीणों व ग्राम पंचायत के कर्मचारियों की मदद से मेले के दौरान खोला गया, लेकिन उसके बाद पिछले तीन साल से मेले के दौरान भी ताले लगे रहे। जिन अधिकारियों पर पैनोरमा को खोलने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने असुरक्षित बताते हुए ताला तो लगवा दिया, लेकिन मरम्मत कराने के प्रयास नहीं किए।
अधिकारियों की नाक के नीचे वीर अमरसिंह राठौड़ का पैनोरमा हुआ उजाड़ जिला मुख्यालय पर कलक्ट्रेट से 200 मीटर दूर सर्किट हाउस के सामने करीब 90 लाख की लागत से बनवाया गया वीर अमरसिंह राठौड़ पैनोरमा का आज देखरेख के अभाव में उजाड़ हो गया है। पिछले करीब चार साल से इसके ताले नहीं खुले हैं। अधिकारियों की अनदेखी के कारण वीर अमरसिंह राठौड़ के पराक्रम व शौर्य की गाथा तालों में बंद है। पैनोरमा परिसर में बड़ी-बड़ी घास व झाडिय़ां उगने व लम्बे समय से ताले नहीं खुलने से अमूल्य धरोहर को नुकसान पहुंच रहा है। मुख्य द्वार पर भी ताला लटका रहता है। पहले यहां एक चौकीदार था, अब वो भी नहीं है।
आर्यभट्ट उपग्रह की तर्ज पर बनाया गया गुरु जम्भेश्वर का पैनोरमा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर पीपासर गांव में गुरु जम्भेश्वर का पैनोरमा आर्यभट्ट उपग्रह की तर्ज पर बनाया गया। पैनोरमा में गुरु जम्भेश्वर के 1451 में जन्म से लेकर विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षा तथा सामाजिक सुधार में किए कार्यों को दर्शाया गया। गुरु जम्भेश्वर के सभी नियम वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित थे, इसलिए पैनोरमा का डिजाइन आर्यभट्ट की तरह बनाई गई। यह पैनोरमा भी एक बार खोलने के बाद सरकार की ओर से स्थाई कर्मचारी की नियुक्ति नहीं करने के कारण नियमित नहीं खुल पाता है।