नागौर

भाव के बिना मोक्ष की यात्रा संभव नही

Nagaur. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में चल रहे प्रवचन में समझाई भाव की महत्ता

नागौरAug 08, 2021 / 11:00 pm

Sharad Shukla

Nagaur. Shravikas listening to discourses in Jaimal Jain Nursery

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में रविवार को प्रवचन में साध्वी बिंदुप्रभा ने कहा कि दान, शील, तप, भावना मोक्ष के द्वार होते हैं। जैन धर्म भावना प्रधान धर्म है। भाव के बिना मोक्ष की यात्रा संभव नहीं है। शुद्ध भाव ही निर्वाण की नींव है। भाव के बिना की गई क्रिया निष्फल होती है। एक ही क्रिया किए जाने पर भी भावों में अंतर होने से उसके परिणाम में भी अंतर आता है। द्रव्य हिंसा से भी ज्यादा, भाव हिंसा नुकसानदायक होती है। मात्र बाहरी क्रिया से किसी व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती है। द्रव्य से मजबूरी के वश पाप करना पडे, तो भी भाव से निर्लिप्तता होनी चाहिए। भाव से ही व्यक्ति की पहचान होती है। भावना से ही भवों का नाश होता है । भाव धर्म क्रिया के लिए संजीवनी का कार्य करता है। दान, तप ,जाप, सामायिक आदि धर्म आराधना भाव से की जानी चाहिए। द्रव्य ही भाव में सहायक बनता है। दान देते समय द्रव्य, पात्र एवं भाव तीनों की शुद्धि होनी चाहिए। भावनानुसार ही फल भी प्राप्त होता है। मोक्ष प्राप्ति करना कोई कठिन नहीं है। मात्र भावों में उत्कृष्टता लाने की जरूरत है। विजेताओं को किया पुरस्कृत प्रवचन की प्रभावना, जय जाप की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी धनराज, मनोज, अशोक, पवन सुराणा थे। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर हरकचंद ललवानी, कल्पना ललवानी, परम ललवानी एवं चांदनी सुराणा ने दिए। गत रविवार को हुई धार्मिक प्रतियोगिता में प्रथम प्रेमलता ललवानी, द्वितीय चित्रलेखा जैन, एवं तृतीय- लवीना नाहर थीं। महावीर जन्म-कल्याणक महोत्सव पर हुई प्रतियोगिता में प्रथम संगीता ललवानी, द्वितीय पुष्पादेवी बांठिया एवं तृतीय भावना बोथरा थी। विजेताओं को धनराज, प्रमोद ललवानी की ओर से पुरस्कृत किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट ने लिया। इस मौके पर मंजू सुराणा, महेंद्र कांकरिया, पंकज मोदी, ललित मुणोत, पार्षद दीपक सैनी आदि मौजूद थे।

Hindi News / Nagaur / भाव के बिना मोक्ष की यात्रा संभव नही

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.