नागौर जिले के रेण के लाखासागर तट स्थित रामधाम देवल में तैरी कागज के नाव की भांति दरियाव महाराज की तपस्याकृत ईंट
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दरियाव महाराज की तपस्याकृत ईंट
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नागौर जिले के रेण लाखासागर तट स्थित रामधाम देवल में जारी वार्षिक चातुर्मास के समापन व दाता गुलाबदास महाराज के 57वें निर्वाण दिवस पर बुधवार सांय सवा 4 बजे एक बार फिर से दरियाव महाराज की तपस्याकृत ईंट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ तैराई गई। ज्यों ही रामधाम देवल के संत ओमदास महाराज कड़ी पुलिस चौकसी के बीच अपने हाथ में चमकीले वस्त्र में लिपटी ईंट लेकर लाखासागर सरोवर की ओर बढ़े तो तट पर खड़े श्रद्धालुओं ने दरियाव महाराज के गगनवेदी जयकारे लगाने लगे। देखते ही देखते पत्थर की बनी र्ईट पानी में कागज की नाव की भांति तैरने लगी। जिन्हें तट पर खड़े श्रद्धालु एक टक निहारते रहे। इस दौरान मुख्य गुवाड़ चौक से रामधाम देवल तक का सड़क मार्ग श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था।
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अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ रामधाम देवल में पूर्णिमा पर पिछले दो माह से जारी वार्षिक चातुर्मास का पीठाचार्य सज्जनराम महाराज के सानिध्य में समापन हुआ। इस दौरान सुबह से सांय तक कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
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रामधाम देवल के उत्तराधिकारी संत बस्तीराम शास्त्री ने बताया कि चातुर्मास समापन पर सर्वप्रथम दरियाव महाराज मुख्य मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना आरती की गई।
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दौरान दूर-दराज से आए रामस्नेही, कबीर पंथी, दादू पंथी संतों का रामधाम देवल के संतों ने बंधावना कर स्वागत किया। इसके पश्चात महाप्रसादी का आयोजन हुआ।
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नागौर जिले के रेण लाखासागर तट स्थित रामधाम देवल में जारी वार्षिक चातुर्मास के समापन व दाता गुलाबदास महाराज के 57वें निर्वाण दिवस पर बुधवार सांय सवा 4 बजे एक बार फिर से दरियाव महाराज की तपस्याकृत ईंट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ तैराई गई। – रेण के रामधाम देवल में जारी वार्षिक चातुर्मास का समापन
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रामधाम देवल के सत्संग भवन में चले प्रवचन में आचार्य सज्जनराम महाराज ने कहा कि समय का सदुपयोग करके ही जीवन को उत्तम एवं आदर्शमय बनाया जा सकता है।
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