नागौर. कोतवाली थाना इलाके की करणी कॉलोनी में एक बुजुर्ग दपती ने घर में बने टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले दपती ने घर में तीन जगह पन्ने चस्पा किए, जिनमें बेबसी का जिक्र करते हुए बेटे-बहू ही नहीं बेटी-दामादों के साथ उनके बच्चों तक को आत्महत्या के लिए जिमेदार ठहराया। दपती ने आत्महत्या संभवतया बुधवार की दोपहर में की, जिसका खुलासा गुरुवार सुबह हुआ। मामला प्रोपर्टी विवाद को लेकर चल रहे गृह क्लेश का है। पुलिस आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
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पुलिस के अनुसार गुरुवार सुबह सूचना मिली कि करणी कॉलोनी स्थित एक मकान में हजारीराम विश्नोई (70) व उसकी पत्नी चावली (65) के यहां कोई हलचल नहीं दिख रही। बुधवार को बारिश होने से आसपास वहां कोई नहीं दिखा। रात को लाइट भी बंद रही और सुबह दूध वाला भी गेट खटखटा कर चला गया।
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बेटे-बहू के साथ पुत्री-दामाद ही नहीं पोते-दोहितों तक के नाम दर्ज सुसाइड नोट मेंआत्महत्या... अपनों से परेशान मां-बाप टांके में कूदे, दीवारों पर चस्पा कर गए पीड़ाप्रताड़ना का पत्र लिखकर कराई कई फोटो स्टेट, संभवतया गृह क्लेश बना इसकी वजह, पोस्टमार्टम कराया, आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज
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नागौर. घटनास्थल पर एसपी, एएसपी व अन्य।
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नागौर. करणी कॉलोनी के मकान में बने टांके को देखते हुए।
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पुलिस को यह सूचना इनसे अलग रहने वाले पुत्र सुनील ने फोन पर दी। इस पर कोतवाली सीआई मनीष देव, डीओ प्रेमाराम मय टीम मौके पर पहुंचे। वहां दरवाजा खोलकर देखा तो टांके में पति-पत्नी दोनों मृत मिले। इसकी जानकारी मिलने पर एसपी नारायण टोगस, एएसपी सुमित कुमार भी मौके पर पहुंचे। मकान दुमंजिला है, दरवाजे की बाएं तरफ की दीवारों पर तीन जगह दो-दो पेज पर उनकी पीड़ा लिखे पन्ने चस्पा थे। हजारीराम की इस पीड़ा में दोनों बेटे-बहू, दोनों बेटी-दामाद के साथ पोते-दोहितों के करीब एक दर्जन नाम लिखे थे। शव निकालने से पहले पुलिस ने सभी परिजनों को सूचित किया।
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कैंसर से पीड़ित थी चावली...हजारी राम की पत्नी चावली पिछले कुछ समय से कैंसर से पीड़ित थी। बेटे-बेटियों से इनका संबंध लगभग खत्म सा था तो आस-पड़ोस से भी ज्यादा बातचीत नहीं थी। इस दुमंजिला मकान में पति-पत्नी अकेले ही रहते थे। आए दिन बेटे-बहू व अन्य के दबाव के चलते परेशान थे। चावली का इलाज चल रहा था, जबकि घर में रोटी बनाने तक की कोई व्यवस्था नहीं थी। हालत यह थी कि दोनों ही कई बार भूखे सोते थे। ऐसा नहीं कि पैसे की कोई कमी थी पर खाना बनाने वाला कोई नहीं था। बेटे-बेटी निहाल नहीं कर रहे थे।
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परेशान करने वालों के नामहजारी राम ने सुसाइड नोट पर बेटे राजेंद्र, उसकी पत्नी रेशमी, सुनील, उसकी पत्नी अनीता, बेटी मंजू, सुनीता, दामाद जशकरण, हीरालाल, साऊ समेत करीब एक दर्जन नाम का जिक्र किया है, जिसमें उसके पोते-दोहिते भी शामिल हैं। बताया जाता है कि बेटे-बेटी हजारी राम के खिलाफ थे। प्रोपर्टी को लेकर ये सब उस पर कब्जा जमाना चाहते थे, जबकि हजारी राम अपनी बची-खुची प्रोपर्टी बेचकर नागौर के पीपासर स्थित गुरु जभेश्वर धाम में 21 लाख रुपए देना चाहता था। सप्ताहभर पहले हजारीराम ने पींपासर में मंदिर के लिए आठ लाख एक हजार सौ रुपए दान किए। यह रसीद चावली के नाम से काटी गई थी। उसके पास एक और प्लॉट है, जिसे बेचकर वो उसकी रकम भी यहीं दान करने वाला था।
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दीवारों पर चस्पा यह सुसाइड नोट किसी डायरी के पन्नों पर लिखा गया। इसके बाद इनकी फोटो स्टेट भी कराई गई। हजारी राम का पुत्र सुनील प्राइवेट काम करता है, जबकि दूसरा पुत्र राजेंद्र फौज में है। बेटी सुनीता व मंजू की शादी हो चुकी है। इस पत्र में हजारी राम ने लिखा कि मंजू, सुनीता व राजेंद्र ने मारपीट कर तीन प्लाट अपने नाम करवाकर बेच दिए। जो प्लॉट पुखराज माली से खरीदा वो उसके पैसे का है। करणी कॉलोनी का एक मकान बेटे सुनील व बहू अनीता ने अपने नाम करवा लिया। अब खाना नहीं दे रहा। पत्नी चावली को कैंसर है, फिर भी वो आए दिन परेशान कर गालियां दे रहा है। ये सभी बेटा-बेटी वर्ष 2002 से उनके पीछे पड़े हैं। सुनील तो उन्हें आए दिन फोन पर धमका कर कहता है कि कटोरा ले लो, मांग कर खाओ, आपको खाना नहीं दूंगा, ज्यादा किसी को बोला तो ठोक कर मार दूंगा। तीन बार बेटे राजेंद्र तो दो बार सुनील ने उसे बुरी तरह पीटा। अब वो भूखे-प्यासे लाचार पड़े हैं। सुनील ने तो पंद्रह-बीस आदमियों को कह रखा है कि इनको परेशान करो, ताकि ये मर जाएं। दोनों बेटे-बहू मारकर पैसे से छूटने के लिए किसी भंवर सिंह विश्नोई का भी जिक्र करते हैं कि हम तो पैसे से छूट जाएंगे। ये सब कभी भी मार सकते हैं। सुसाइड नोट बाहर दीवारों पर तीन जगह चस्पा थे। दरवाजा खोलने के बाद अंदर भी बीस-पच्चीस कॉपी अंदर बिखरी थी। वे घर पर ताला लगाकर टांके में कूदे थे, चाबी हजारी राम की जेब से निकली। ज्ञापन में माता-पिता को बताया मानसिक बीमार इधर, माता-पिता को परेशान करने वाले सुनील विश्नोई ने दो दिन पहले एक ज्ञापन एसपी को दिया जिसमें माता-पिता को मानसिक बीमार बताते हुए उन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। यही नहीं उसने इन दोनों पर जान से मारे की धमकी देने के साथ आत्महत्या की धमकी देकर सबको जेल की हवा खिलाने की धमकी देने की बात भी कही थी। अब यह ज्ञापन सुनियोजित था या साजिशन, पुलिस इसकी भी जांच करेगी। इनका कहना... हजारी राम व उसकी पत्नी चावली ने टैंक में कूदकर आत्महत्या की है। गृह क्लेश में सपत्ति विवाद सामने आ रहा है। प्रताड़ित करने का पत्र भी मिला है, इस पर मामला दर्ज कर जांच की जाएगी। पुलिस सभी एंगल से मामले को देखेगी। नारायण टोगस, एसपी नागौर नागौर. कोतवाली थाना इलाके की करणी कॉलोनी में एक बुजुर्ग दपती ने घर में बने टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले दपती ने घर में तीन जगह पन्ने चस्पा किए, जिनमें बेबसी का जिक्र करते हुए बेटे-बहू ही नहीं बेटी-दामादों के साथ उनके बच्चों तक को आत्महत्या के लिए जिमेदार ठहराया। दपती ने आत्महत्या संभवतया बुधवार की दोपहर में की, जिसका खुलासा गुरुवार सुबह हुआ। मामला प्रोपर्टी विवाद को लेकर चल रहे गृह क्लेश का है। पुलिस आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। पुलिस के अनुसार गुरुवार सुबह सूचना मिली कि करणी कॉलोनी स्थित एक मकान में हजारीराम विश्नोई (70) व उसकी पत्नी चावली (65) के यहां कोई हलचल नहीं दिख रही। बुधवार को बारिश होने से आसपास वहां कोई नहीं दिखा। रात को लाइट भी बंद रही और सुबह दूध वाला भी गेट खटखटा कर चला गया। पुलिस को यह सूचना इनसे अलग रहने वाले पुत्र सुनील ने फोन पर दी। इस पर कोतवाली सीआई मनीष देव, डीओ प्रेमाराम मय टीम मौके पर पहुंचे। वहां दरवाजा खोलकर देखा तो टांके में पति-पत्नी दोनों मृत मिले। इसकी जानकारी मिलने पर एसपी नारायण टोगस, एएसपी सुमित कुमार भी मौके पर पहुंचे। मकान दुमंजिला है, दरवाजे की बाएं तरफ की दीवारों पर तीन जगह दो-दो पेज पर उनकी पीड़ा लिखे पन्ने चस्पा थे। हजारीराम की इस पीड़ा में दोनों बेटे-बहू, दोनों बेटी-दामाद के साथ पोते-दोहितों के करीब एक दर्जन नाम लिखे थे। शव निकालने से पहले पुलिस ने सभी परिजनों को सूचित किया। करीब तीन घंटे बाद परिजन यहां पहुंचे फिर शवों को पोस्टमार्टम के लिए जेएलएन अस्पताल पहुंचाया गया। हजारी राम पेशे से ड्राइवर था, दो-तीन साल पहले ही उसने यह काम छोड़ा था। एलआईसी सहित अन्य इन्वेस्टमेंट के जरिए वो बरसों से यहां जमीन/प्लाट खरीदा करता था।
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करीब तीन घंटे बाद परिजन यहां पहुंचे फिर शवों को पोस्टमार्टम के लिए जेएलएन अस्पताल पहुंचाया गया। हजारी राम पेशे से ड्राइवर था, दो-तीन साल पहले ही उसने यह काम छोड़ा था। एलआईसी सहित अन्य इन्वेस्टमेंट के जरिए वो बरसों से यहां जमीन/प्लाट खरीदा करता था।