प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं समाजसेवी राजेन्द्र माथुर ने व्याख्यानमाला की अध्यक्षत करते हुए हमारे जीवन में वास्तु एवं दिशा ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कर्मयोगी जैथलिया को छोटीखाटू का महान सपूत बताया। पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने स्वागत भाषण में जैथलिया के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाए। पूर्व अध्यक्ष कपूरचंद बेताला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन साहित्य मंत्री जगदीश सिंह राजपुरोहित ने किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में निरझरा डूडी ने गीत प्रस्तुत किया तथा रमेश भाटी ने अमृत वचन पढ़ा। अतिथियों का अंगवस्त्र तथा स्मारिका प्रदान कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में डॉ संपत सेठी ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सम्मानित किया। समारोह में गोविंद जैथलिया, डालमचंद धारीवाल, कालूराम सारड़ा, प्रेमसिंह चौधरी, आत्म प्रकाश सैन एवं कमल कामड़ ने भंवरलाल टाक, लालचंद बजाज, ताराचंद धारीवाल, पवन कुमार जोशी, प्रवीण बेताला, भंवर सिंह कोनीयाड़ा, मूलचंद जादम, अनिल बजाज, लक्ष्मण सिंह राठौड़, रामकिशोर टाक, डॉ हरिओम ओझा, ओमप्रकाश दायमा, रामदेव जैथलिया, छोटूलाल वैष्णव, गौरव सारड़ा सहित कफी संख्या में छात्र -छात्राए उपस्थित थे। बंशीधर शर्मा, डॉ तारा दूगड़, गौरीशंकर सारड़ा, डॉ अनिल भंडारी, अरुण प्रकाश मल्लावत, नंदकुमार लढा, भागीरथ चांडक सहित देश के कई शहररों से गणमान्य लोग ऑनलाइन जुड़े रहे।