115 दिन करेंगे भगवान विष्णु शयन, पूजा-पाठ व दान से मिलेगा पुण्य चातुर्मास ध्यान-योग साधना के कार्यक्रम होंगे। इस दौरान व्रत भक्ति और शुभ कर्म करने पर कई गुना अधिक फल मिलेगा। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार माह योग निद्रा में जाने पर भगवान शिव धरती को आसुरी शक्तियों से बचाते है। यही वजह है कि इन चार महीनों में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना आराधना की जाती है। ज्योतिषाचार्यो ने बताया कि शास्त्र के अनुसार इस साल चातुर्मास 20 जुलाई से शुरू होंगे। इन चार माह में किए गए जप, तप, दान आदि वैकुंठ में जाने के मार्ग को प्रशस्त करेंगे। इस दौरान चार माह में हर राशि वालों को संत सेवा करनी चाहिए। इससे जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होने के साथ धन-धान्य की की प्राप्ति होती है। हर व्यक्ति को चातुर्मास के दौरान धर्म-कर्म कार्यो में बढ़चढकऱ भाग लेना चाहिए और भगवान की पूजा-पाठ व आराधना करनी चाहिए, ताकि जीवन सुखमय व आनंदायक बना रहे।
14 नवम्बर तक रहेगा चातुर्मास
इस बार चातुर्मास 20 जुलाई से 14 नवम्बर तक रहेगा। चातुर्मास में शुभ कार्य जैसे विवाह संस्कार, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश, दुकान की शुरूआत आदि कार्य नहीं किए जा सकेंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते है, उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष ये एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। इसके बाद शुभ कार्य शुरू होंगे।
इस बार चातुर्मास 20 जुलाई से 14 नवम्बर तक रहेगा। चातुर्मास में शुभ कार्य जैसे विवाह संस्कार, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश, दुकान की शुरूआत आदि कार्य नहीं किए जा सकेंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते है, उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष ये एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। इसके बाद शुभ कार्य शुरू होंगे।
मांगलिक कार्यो के लिए करना पड़ेगा इंतजार- 20 जुलाई मंगलवार देवशयनी एकादशी के बाद शादियों की सीजन थम जाएगी। इस दौरान न ही शहनाइयों गूंज सुनाई देगी और न ही बैण्ड बाजा। लोगों को मांगलिक कार्यो के लिए चार महीने तक लंबा इंतजार करना होगा। शादी सीजन थमने से सराफा, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक, फर्नीचर सहित अन्य कारोबार प्रभावित होंगे।
सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति
पंडित कृष्ण कुमार दाधीच ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करके विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को स्नान कराकर नए वस्त्र (पीतांबर) पहनाएं। इसके बाद 16 सामग्रियों से पूजा करें। इसके अलावा चातुर्मास में भी देवी-देवताओं की पूजा आराधना करके कृपा प्राप्त की जा सकती है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस अवधी में किए गए जप, तप, दान का फल अक्षय मिलता है।
पंडित कृष्ण कुमार दाधीच ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करके विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को स्नान कराकर नए वस्त्र (पीतांबर) पहनाएं। इसके बाद 16 सामग्रियों से पूजा करें। इसके अलावा चातुर्मास में भी देवी-देवताओं की पूजा आराधना करके कृपा प्राप्त की जा सकती है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस अवधी में किए गए जप, तप, दान का फल अक्षय मिलता है।
श्रावण मास रविवार से शुरू, रविवार को खत्म- ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार सावन का महीना भी 29 दिन का होगा। सावन में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की हानि हो रही है, खास बात यह है कि सावन का महीना रविवार से शुरू होकर रविवार के दिन ही समाप्त होगा। सावन का महीना 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान पहला सोमवार 26 जुलाई, दूसरा सोमवार 2 अगस्त, तीसरा सोमवार 09 अगस्त, चौथा सोमवार 16 अगस्त को होगा। सावन में 5 अगस्त व 20 अगस्त को दो प्रदोष व्रत रहेगा।