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नागौर

मानवीय मूल्यों के उत्थान और विकास में संतों का महान योगदान: मुख्यमंत्री

नागौरJul 18, 2024 / 06:46 pm

चंद्रशेखर वर्मा

Great contribution of saints in the upliftment and development of human values: Chief Minister
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 जैन विश्व भारती के महाश्रमण विहार में विराजित मुनिश्री जयकुमार सहित जैन संतों के दर्शन किए।
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पूजन कर किया शिलान्यासअतिथियों ने यहां परिसर में सुधर्मा सभा प्रवचन स्थल का पूजन कर शिलान्यास किया। भवन की नींव रखी। पूजन में प्रेमदेवी, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक कोठारी, भागचंद बरडिया, मंजू देवी, प्रवीण बरड़िया भी मौजूद रहे।।
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जीवन की सार्थकता देने में : डॉ. कोठारीकार्यक्रम के मुख्य वक्ता, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि यहां जो बैठे हैं, उनकी आंखों में देने का भाव है। धर्म हमें देना सिखाता है। कोठारी ने कहा कि हमें पेड़ बन जाना है। पेड़, बीज से बनता है और पेड़ बनने के लिए बीज को अपना दान करना पड़ेगा, जमीन में गड़ना पड़ेगा, अपना अस्तित्व दांव पर लगाना पड़गा, तभी पेड़ बन पाएंगे और दूसरों को फल व छाया दे सकेंगे। कोई भी पेड़ अपना फल खा नहीं सकता, जो अपने फल खाने की इच्छा रखता है, वो समाज को कुछ नहीं दे सकता। जीवन की सार्थकता देने में है। हम जो कुछ समाज के लिए कर रहे हैं, वो परोक्ष रूप से अपने लिए ही कर रहे हैं।
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शर्मा ने आशा जताई कि वर्ष 2026 में आचार्य महाश्रमण एक वर्षीय योगक्षेम वर्ष के लिए जैन विश्व भारती के पवित्र स्थान पर प्रवास जो सम्पूर्ण प्रदेश के लिए मंगलकारी होगा। विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय कानून एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा जैन विश्व भारती संस्थान के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आचार्य तुलसी ने 1949 में अणुव्रत गीत लिखा, जो दिल्ली तक गूंजा। उनके अणुव्रत में अणु बम जितना प्रभाव था, लेकिन सकारात्मक। मुख्यमंत्री ने जैन विश्व भारती के महाश्रमण विहार में विराजित संतों के दर्शन किए। परिसर में पौधारोपण भी किया। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अतिथियों का स्वागत किया।
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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि किसी भी प्रदेश की समग्र उन्नति का आकलन केवल भौतिक विकास से ही नहीं, बल्कि वहां के नागरिकों में मानवीय मूल्यों और विचारों की समृद्धता से भी होता है। भौतिकवाद से आध्यात्मवाद की ओर बढ़ने पर हमारे आचरण और विचार समाज के प्रति बदलते हैं और हम समाज, देश और राष्ट्र के लिए समर्पित भाव से कार्य कर पाते हैं।
मुख्यमंत्री बुधवार को लाडनूं जैन विश्व भारती में सुधर्मा सभा प्रवचन स्थल शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों के उत्थान एवं विकास में संतों का महान योगदान रहा है। आचार्य तुलसी ऐसे ही महापुरुष थे। उन्होंने अणुव्रत आंदोलन के जरिये मानव धर्म का व्यावहारिक स्वरूप लोगों के सामने रखा तथा समाज को अंधविश्वास, रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रह से मुक्त किया। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का देश के हिंदी साहित्यकारों में प्रमुख स्थान है। आचार्य महाश्रमण की सहजता एवं पवित्रता से उनमें महात्मा का दर्शन होता है।
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सपूर्ण प्रदेश के लिए मंगलकारी होगा आचार्य महाश्रमण का 2026 में एक वर्षीय प्रवास‘एक महान सोच से बनी लाडनूं जैन विश्व भारती’
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मंगलाचरण
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लाडनूं जैन विश्वभारती परिसर में पूजन करते हुए और भागचंद बरड़िया का अभिनंदन करते प्रदेश के मुयमंत्री
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कोई भी पेड़ अपना फल स्वयं नहीं खाता : डॉ. कोठारी
मुय वक्ता पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब चंद कोठारी ने केवल अपने लिए काम करने में नहीं बल्कि सबके हित के लिए काम करने में ही जीवन की सार्थकता बताई। उन्होंने कहा कि बीज जब अपना अस्तित्व छोड़ता है, तो वह बड़ा पेड़ बन सकता है। कोई भी पेड़ अपना फल स्वयं नहीं खाता, जो अपना फल खाए, वह किसी को क्या देगा। व्यक्ति को पेड़ की तरह देने में अपने जीवन की सार्थकता रखनी चाहिए, लेने में नहीं। उन्होंने सभी से अपील करी कि हमें विकास करना चाहिए, बड़ा पेड़ बनना चाहिए और लोगों में खूब बांटना चाहिए, लेकिन साथ ही अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जो अपनी जड़ छोड़ देता है, उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। डॉ. कोठारी ने कहा कि जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में सभी धर्म व दर्शनों का अध्ययन आवश्यक है।
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जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने बताया कि देश में जब कहीं भी योग का विषय नहीं था, तब 1987 में यह पहला विश्वविद्यालय था, जिसने योग विभाग की अलग से स्थापना की। इसी तरह से अहिंसा व शांति विभाग भी पहली बार यहां स्थापित किया गया। यहां प्राकृतिक चिकित्सा पर पाठ्यक्रम प्रारभ किया जाएगा तथा आयुर्वेद व होमियोपैथी पर शिक्षा देने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय अनुशास्ताओं आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ व आचार्य महाश्रमण की दूरदृष्टि की देन है। यहां मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाता है। यह संस्थान व्यक्तित्व निर्माण के लिए जाना जाता है। यह छोटा अवश्य है, लेकिन देशभर में प्रतिष्ठा कायम कर रखी है।
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लाडनूं के जैन विश्वभारती परिसर में बुधवार को आयोजित नवीन भवनों के शिलान्यास समारोह में मौजूद गणमान्य लोग
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समारोह के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय विधि मंत्री एवं जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अर्जुनराम मेघवाल ने भी जैविभा की सराहना की और कहा कि यहां करीब 7-8 करोड़ की लागत से नेचुरोपैथी सेंटर बनाया है। उन्होंने मुयमंत्री से आग्रह किया कि इसमें नेचुरोपैथी के सब्जेक्ट शुरू करने के लिए राज्य सरकार एनओसी प्रदान करें। इस पर मुयमंत्री ने बैठे-बैठे ही अपनी सहमति दे दी। केन्द्रीय मंत्री ने आचार्य तुलसी केे कर्तृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सन 1949 में अणुव्रत गीत लिखा था, ‘संयममय जीवन हो...।’ मेघवाल ने इस गीत की दो पंक्तियां गाकर प्रस्तुत की और उसका महत्व बताया। उन्होंने कहा कि अणुव्रतों को आचार्य तुलसी अणुबम से अधिक शक्तिशाली मानते थे और यह सच्चाई भी है
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शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए मुयमंत्री शर्मा ने आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस माध्यम से सिद्धांत पक्ष को व्यावहारिक बनाया। जैन विश्व भारती भी मानव कल्याण की मूल भावना से संस्कृति के संरक्षण का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा केन्द्रों व शिक्षा देने वाले देश के रूप में जाना जाता रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश के विद्यार्थी-शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से नालंदा विश्वविद्यालय को नया जीवन देकर पुरातन संस्कृति को बहाल करने का काम किया है। इस जैन विश्व भारती की स्थापना के पीछे भी महान सोच रही है। मुयमंत्री ने कहा कि यह संस्थान अपने सात सूत्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लगातार गतिशील है। शिक्षा, साहित्य, साधना, शोध, संस्कृति, सेवा जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति व मानव कल्याण की भावना इस संस्था के मूल में है। उन्होंने कहा कि ध्यान, योग, जैन विद्या, राजस्थानी लिपि, प्राकृत भाषा आदि के अध्यापन के लिए समर्पित यह एकमात्र विश्वविद्यालय है। यहां शोध अनुसंधान जैसे कार्य एक गुरुकुलवास के वातावरण में किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे लाडनूं में यहां दूसरी बार आए हैं। पहले वे भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आए थे, तो देखा कि लाडनूं में इतना भव्य व दिव्य संस्थान मौजूद है। यहां प्राचीन भाषा व लिपियों का कार्य, ध्यान, योग और प्राच्य विधाएं इसकी पहचान बनी हुई है।

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पूजन कर किया शिलान्यासअतिथियों ने यहां परिसर में सुधर्मा सभा प्रवचन स्थल का पूजन कर शिलान्यास किया। भवन की नींव रखी। पूजन में प्रेमदेवी, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक कोठारी, भागचंद बरडिया, मंजू देवी, प्रवीण बरड़िया भी मौजूद रहे।

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