नागौर

संत प्रयागराज तीर्थ की तरह होते हैं

Nagaur. रामपोल सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास कथा के दौरान कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि संत तो चलते फिरते प्रयागराज तीर्थ के समान है

नागौरJul 26, 2021 / 11:01 pm

Sharad Shukla

Nagaur. Sant Murliram Maharaj preaching at Rampol Satsang Bhawan

नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास कथा के दौरान कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि संत तो चलते फिरते प्रयागराज तीर्थ के समान है। उद्धरण देते हुए बताया कि जैसे प्रयागराज में गंगा यमुना सरस्वती नदियों का त्रिवेणी संगम है। उसी प्रकार संतो के जीवन में भी त्रिवेणी संगम है। जिस संत के जीवन में भक्ति की गंगा कर्म की यमुना और ब्रह्मविद्या की सरस्वती बहती हो। ऐसा संगम संतों के साथ होता है। प्रयागराज में जाने के लिए व्यक्ति को अनेक साधन जुटाने पड़ते हैं, लेकिन संत रूपी प्रयागराज में बिना किसी साध्य को जुटाए धर्म अर्थ काम मोक्ष ऐसे फल व्यक्ति को मिलते हैं। इस अवसर पर रामनामी महंत मुरलीराम महाराज ने कहा कि संत कभी भी व्यक्ति को दर्शन देकर व्यक्ति के भाग्य को बदल सकते हैं। प्रयागराज में अक्षयवट का पेड़ है, उसी प्रकार संत रूपी प्रयागराज में हमारा अटल विश्वास ही उस अक्षय वट के बराबर है। इसलिए संतों का आदर करना चाहिए। संत रूपी प्रयागराज में व्यक्ति का जीवन परिवर्तन हो जाता है। संतो के साथ से कौवा कोयल और बुगला हंस बन जाता है। यह सारीरिक नही, परंतु अपितु आंतरिक परिवर्तन होता है। इस दौरान साध्वी मोहनी बाई बाल संत रामगोपाल महाराज, नंदकिशोर बजाज, कांतिलाल कंसारा, ललित कुमार कंसारा, राम अवतार शर्मा, नंदलाल प्रजापत आदि थे।

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