समय के साथ बदलाव की जरूरत
जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव ने कहा कि मेले में पशुओं की आवक भले ही कम हुई, लेकिन नागौर की पहचान आज भी इसी मेले की वजह से है। कलक्टर ने कहा कि मेले में समय के अनुसार बदलाव लाने के लिए ही इस बार यहां कृषि और हैण्डटूल्स की प्रदर्शनी लगवाई जा रही है। साथ ही पर्यटन को ध्यान में रखते हुए बदलाव भी किए जा रहे हैं। कलक्टर ने कहा कि पशुपालकों को पशु परिवहन में किसी प्रकार परेशानी नहीं आए, इसके लिए ट्रांसपोट्र्स को निश्चित किराया लेने के लिए भी पाबंद किया है। साथ ही रास्ते में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आए, इसके लिए सभी जिला कलक्टर को हम चिट्टी भेजेंगे, ताकि पशु व्यापारियों को रास्ते में कोई परेशान न करे।
80 वर्षों से आयोजित हो रहा मेला
कार्यक्रम में पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा ने कहा कि उनके दादा नाथूराम मिर्धा हर साल मेले में आते थे। हालांकि उस समय मेलों का रंग भी अलग था, अब मेले छोटे होने लगे हैं, लेकिन महत्व आज भी है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश मीणा ने मेले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि रामदेव पशु मेला करीब 80 वर्षों से आयोजित हो रहा है। एक समय था जब मेले में दो-दो लाख पशु आते थे, देशभर के राज्यों से पशुपालक व किसान पशु खरीदने के लिए आते थे। अब खेती में मशीनरी का उपयोग बढऩे से मेले पर विपरीत असर पड़ा और धीरे-धीरे मेला छोटा होने लगा। फिर भी इस मेले को जीवित रखने का प्रयास विभाग कर रहा है।
व्यापारियों ने बताई परेशानी
मेले का उद्घाटन करने पहुंचे अधिकारियों को बाहरी राज्यों से आए पशु व्यापारियों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि रास्ते में उन्हें तंग-परेशान किया जाता है। यहां से पशु खरीदकर जब वे वापस जाते हैं तो रास्ते में उन पर गो तस्करी के आरोप लगाकर मारपीट की जाती है तथा पशु छीन लिए जाते हैं। इस पर अधिकारियों ने परेशानी न हो, इसके पुख्ता बंदोबस्त करने का आश्वासन दिया।
मेले में पहुंचे विदेश सैलानी
रामदेव पशु मेले की ख्याति देश के साथ विदेशों में भी है। कई वर्षों से मेले में देसी-विदेशी पर्यटक घूमने आते हैं। शनिवार को भी मेले के उद्घाटन के साथ ही विदेशी पर्यटक घूमने पहुंच गए। इस दौरान पर्यटकों ने नागौरी नस्ल के बैलों के साथ फोटो खिंचवाए तथा बैल गाड़ी में बैठकर मेले की सैर भी की।
पहले दिन पहुंचे 1333 पशु
पशुपालन विभाग के वरिष्ट पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मूलाराम जांगू ने बताया कि मेले में शनिवार तक कुल 1333 पशुओं की आवक हुई, जिसमें सबसे अधिक 718 गोवंश, 600 उष्ट्र वंश, 13 अश्व, दो भैंस वंश हैं।
मेले के शुभारम्भ अवसर पर अतिथि के रूप में माली समाज के अध्यक्ष कृपाराम देवड़ा, समाजसेवी सुरेश राठी, भूमि विकास बैंक के चेयरमेन नंदकिशोर सदावत, ओमप्रकाश सेन, प्रेमसुख जाजड़ा, जगदीश बिडियासर आदि मौजूद रहे। मंच संचालन मोहम्मद शरीफ छींपा ने किया।