कभी मिलता था भूंगड़े-गुड़ का नाश्ता
चालीस साल जेल की नौकरी करने वाले हनुमान सिंह बताते हैं कि पहले बंदियों को नाश्ते में भूंगड़े (चने) और गुड़ मिलता था। दोनों समय का खाना और दिन में एक बार चाय मिलती थी। फोन/मोबाइल थे नहीं, पोस्टकार्ड/ अंतरदेशीय पत्र जो बंदी लिखता था, उसे जेलर पहले पढ़कर उचित होती तो ही पोस्ट करता था। ऐसी ही परिजनों की चिट्ठी आने पर भी जेलर देखता कि उसमें अवसाद/निराशा अथवा जलालत भरी बात तो नहीं है, ऐसा होने पर बंदी तक नहीं पहुंचती थी।वक्त के साथ बदल गया जेल का मेन्यू
सोमवार को नमकीन खिचड़ी, मंगलवार को अंकुरित मूंग, बुधवार को मीठा दलिया, गुरुवार को अंकुरित चने, शुक्रवार को काले चने, शनिवार को पोहा तो रविवार को अंकुरित मूंग नाश्ते में दिए जाते हैं। खाने में दोनों टाइम दाल व रात को सब्जी। रविवार को खीर या हलवा मिलता है। स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस, ईद और दिवाली पर मिठाई दी जाती है। कैंटीन से कैदी जरूरी चीजें मंगवा सकते हैं। घर वालों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/आमने-सामने बातचीत का अवसर मिलता है।पृथ्वी सिंह कविया, उपाधीक्षक जेल, नागौर