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नागौर

Rajasthan News: राजस्थान की इस जेल में कैदियों को सातों दिन मिलता है स्पेशल नाश्ता, रविवार को चखते हैं खीर का स्वाद

जेल में मंदिर/मजार उनको मन से मजबूत करता है। तीज-त्योहार पर सभी मिलकर मस्ती करते हैं। सभी हारी-बीमारी में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं।

नागौरDec 16, 2024 / 10:12 am

Rakesh Mishra

Jail

प्रतीकात्मक तस्वीर

Nagaur Jail: अब न अंग्रेजों के जमाने वाली जेल हैं न ही सख्त जेलर। वक्त के साथ सब कुछ बदल गया है। पिछले कुछ साल से जेल में आए बदलाव ने बंदियों तक को अचरच में डाल दिया है। नाश्ता-चाय से लेकर खाने तक की व्यवस्था के साथ अन्य सुविधाएं किसी को भी चकित करती हैं। जेलों में अब न खाने की कतार है न ही खूंखार कैदी/बंदियों का झगड़ा।
अब बंदी विचाराधीन हो या हार्डकोर, जिस बैरक में रहते हैं वहां एलईडी टीवी तक की सुविधा है। सात दिन के नाश्ते का मेन्यू भी अलग-अलग है। हफ्ते में एक बार हलवा या खीर खाने के साथ मिलती है। नागौर जिला जेल सहित देश की तमाम जेलों में अब बंदी जिंदादिली से जिंदगी काट रहे हैं। जेल में मंदिर/मजार उनको मन से मजबूत करता है। तीज-त्योहार पर सभी मिलकर मस्ती करते हैं। सभी हारी-बीमारी में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं। घर-परिवार के आयोजनों में भी जेल में कमाए पैसों से एक-दूसरे की मदद भी करते हैं।

कभी मिलता था भूंगड़े-गुड़ का नाश्ता

चालीस साल जेल की नौकरी करने वाले हनुमान सिंह बताते हैं कि पहले बंदियों को नाश्ते में भूंगड़े (चने) और गुड़ मिलता था। दोनों समय का खाना और दिन में एक बार चाय मिलती थी। फोन/मोबाइल थे नहीं, पोस्टकार्ड/ अंतरदेशीय पत्र जो बंदी लिखता था, उसे जेलर पहले पढ़कर उचित होती तो ही पोस्ट करता था। ऐसी ही परिजनों की चिट्ठी आने पर भी जेलर देखता कि उसमें अवसाद/निराशा अथवा जलालत भरी बात तो नहीं है, ऐसा होने पर बंदी तक नहीं पहुंचती थी।

वक्त के साथ बदल गया जेल का मेन्यू

सोमवार को नमकीन खिचड़ी, मंगलवार को अंकुरित मूंग, बुधवार को मीठा दलिया, गुरुवार को अंकुरित चने, शुक्रवार को काले चने, शनिवार को पोहा तो रविवार को अंकुरित मूंग नाश्ते में दिए जाते हैं। खाने में दोनों टाइम दाल व रात को सब्जी। रविवार को खीर या हलवा मिलता है। स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस, ईद और दिवाली पर मिठाई दी जाती है। कैंटीन से कैदी जरूरी चीजें मंगवा सकते हैं। घर वालों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग/आमने-सामने बातचीत का अवसर मिलता है।
बंदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, फोन पर बातचीत और मुलाकात कराते हैं। लाइब्रेरी, स्वास्थ्य सेवा के साथ टीवी जैसी सुविधाएं भी हैं। हां… जेल की चारदीवारी में रहने की बंदिश जरूर है बाकी आमजन की तरह बंदी भी जिंदगी बिताते हैं।
पृथ्वी सिंह कविया, उपाधीक्षक जेल, नागौर

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