-इसमें गंदा पानी के साथ भारी मात्रा में प्रतिदिन डाला जा रहा कचरा, डाला गया कचरा सडऩे की वजह से बन रही है खतरनाक राशायनिक स्थिति
नागौर•Nov 29, 2023 / 10:30 pm•
Sharad Shukla
Pratapsagar pond, which once quenched the thirst of thousands, is dying
– तालाब को व्यवस्थित नहीं किए जाने पर स्थिति और बिगड़ी तो फिर इसके संपर्क में आने वाले जानवर भी मर जाएंगे
-तालाब के चारों ओर सड़ रहे कचरे के कारण इसका भी दायरा सिमटा
-राजस्थान पत्रिका अभियान
नागौर. कभी अपने शीतल जल से लोगों की प्यास बुझाने वाला प्रतापसागर तालाब का वजूद अब खत्म होने लगा है। तालाब के अस्तित्व को समाप्त करने के लिए न केवल इसमें गंदगी डाली जा रही है, बल्कि आवासीय क्षेत्रों का गंदा पानी सीवरेज में डालने की जगह इसमें डाला जा रहा है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके सीढिय़ों तक पर ही न केवल कचरा सड़ रहा है, बल्कि इसके अगल-बगल की खाली जगहों पर भी कचरा ही डाला जा रहा है। इस स्थान को भी पूरी तरह से गंदगी के ढेर में तब्दील करने के साथ ही अब इस पूरे तालाब के वजूद को ही जिम्मेदार निगलने में आमादा हो गए हैं।
नलों के आने के पहले आसपास के लोगों की संजीवनी के रूप में जाने वाला प्रतापसागर तालाब अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। तालाब को व्यवस्थित और बेहतर स्थिति में करने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाए जाने के कारण यह पूरा एरिया अब गंदे नाले में बदलने के साथ ही सड़ते हुए कचरे की दुर्गन्ध से संघर्ष करने में लगा हुआ है। हालात यह हो गए हैं कि तालाब की सीढिय़ों के साथ ही इसके किनारे पर पड़े सड़ रहे कचरे के अंबार के साथ पानी की दुर्गन्ध के चलते अब इसके आसपास के लोगों का अपने घरों में रहना भी मुश्किल हो गया है। हर समय पड़ा सड़ रहा कचरा दुर्गन्ध के साथ ही जहरीली गैसें भी वातावरण में छोड़ रहा है। इसकी वजह से अब तालाब लगभग खत्म होने की स्थिति में पहुंच गया है। जल्द ही यहां पर हालात नहीं सुधारे गए तो फिर यह प्राचीन तालाब भी केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा।
हालात-ए-प्रतापसागर तालाब
बुधवार को प्रतापसागर तालाब की पड़ताल की गई तो इसमें तालाब का पानी बेहद काला एवं बदबूदार मिला। बताते हैं कि बरसात में आया पानी भी अब इसमें सीवरेज के गंदे पानी के साथ मिलने के कारण यह काला व बदबूदार हो चुका है। इसके किनारों पर चारों ओर सड़ता कचरा एवं दुर्गन्ध फैलाती हवा के कारण तालाब के पास खड़ा होना ही मुश्किल हो गया। इस तालाब के पास एक सीवरेज लाइन मिली। बताते हैं कि शहर के कई प्रमुख नालों का पानी सीधे इसी सीवरेज लाइन के माध्यम से इसमें पहुंचाया जा रहा है। इसके कारण गंदे पानी से कई बार तालाब पूरा भर जाता है तो फिर पाइप के माध्यम से ही इस गंदे पानी को सीवरेज के खुले चेंबर में में डाल दिया जाता है। अब स्थिति यह हो गई है कि इसकी दुर्गन्ध के कारण रात्रि में लोगों का अपने घरों में रहना ही मुश्किल हो जाता है।
आवासीय बस्तियों के साथ मंदिर भी यहीं है
मंदिरों में दर्शन करना भी मुश्किल होने लगा
शहर में सोनी बाड़ी, प्रतापसागर कॉलोनी, नया दरवाजा, बड़लेश्वर महादेव मंदिर, नया दरवाजा स्थित हनुमान मंदिर प्रतापसागर तालाब से लगभग सटा हुआ है। यहां पर रोजाना सैंकड़ों की संख्या में लोग दर्शनों के लिए भी आते हैं। दुर्गन्ध सभी को परेशान करती है। इसके कारण लोगों का मंदिरों तक पहुंचना भी अब मुश्किल होने लगा है।
पानी के लिए गंदगी व कचरा होता है खतरनाक
विशेषज्ञों का मानना है कि गंदा पानी तालाब में जाने के कारण न केवल यह भूजल की गुणवत्ता को पूरी तरह से प्रभावित कर देता है, बल्कि जमीन भी खतरनाक जहरीले रसायन के साथ मिलने से पूरी तरह खराब हो जाती है। बताते हैं कि इसके खतरनाक तत्व मिट्टी में घुलकर यानि की उसमें समाने के बाद उस जमीन को पूरी तरह से प्रदूषित कर देते हैं। इसके साथ ही सड़े हुए कचरा की वजह से इसके उपजे खतरनाक तत्व जहां मिलते हैं, वह पूरी जगह ही बंजर हो जाती है। यह जल एवं थल दोनों को ही बरबाद कर देते हैं।
इनका कहना है…
प्रतापसागर तालाब के वस्तुस्थिति की परिषद की ओर से जांच करा ली जाएगी। इसके बाद इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
देवीलाल बोचल्लया, आयुक्त नगरपरिषद नागौर
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