– रेलवे ने राज्य सरकार को फिर से लिखा है पत्र – 2018 के रेल बजट में परबतसर-किशनगढ़ रेलमार्ग के लिए मिली थी 900 करोड़ रुपए की मंजूरी ईबीआर पार्टनरशिप (संयुक्त उपक्रम कम्पनी) के तहत होने वाले इस कार्य के लिए केन्द्र सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी, लेकिन राजस्थान सरकार ने संसाधनों की कमी बताते हुए हाथ खड़े कर दिए। हाल ही के महिनों में रेलवे बोर्ड ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को फिर से इस परियोजना पर कार्य शुरू करने के लिए पत्र लिखा है। लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कोई जबाव नहीं मिलने से मामला सिफर हो गया।
पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल व सुरेश प्रभु ने भी राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखे, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। जब 19 जनवरी 2018 को रेलवे ने मकराना से परबतसर के बीच ब्रोडगेज लाइन पर शटल रेल सेवा शुरू की तो परबतसरवासियों को इस रेलवे ट्रेक को किशनगढ़ तक बढ़ाने की आस जगी थी ताकि व्यापारियों, मजदूरों व आमजन को रेल सुविधा मिल सके। लेकिन जनता में माहौल देख केन्द्रीय मंत्री रहे सीआर चौधरी ने बजट में राशि स्वीकृति की चुनावी घोषणा करवा दी, लेकिन ट्रेक आगे नहीं बढ़ा।
बदली सरकार की नीति
रेल परियोजनाओं को लेकर केन्द्र सरकार की नीति में हुए बदलाव से भी इस परियोजना को झटका लगा है। नई नीति के तहत राजस्व आय (रेट ऑफ रेवेन्यू) को देखते हुए 50 फीसदी राज्य सरकार की भागीदारी व निशुल्क जमीन देना तय किया गया। इसके लिए राजस्थान सरकार तैयार नहीं हुई। यही कारण है कि राज्य सरकार द्वारा सयुंक्त उपक्रम कंपनी नहीं बनाने से अब तक अन्य कई रेल परियोजनाएं भी सिरे नहीं चढ़ी हैं। रेल बजट 2018 में केन्द्र सरकार ने परबतसर-किशनगढ़ रेलमार्ग को 900 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। लेकिन पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप की संयुक्त योजना होने के कारण कोई ध्यान नहींं दिया गया। इसी प्रकार नोखा से सीकर नई रेल लाइन, सरदारशहर से हनुमानगढ़, पुष्कर-मेड़ता, लाडनूं से कुचामन वाया डीडवाना, नागौर से फलोदी, सुजानगढ़ से सीकर, सादुलपुर से तारानगर की योजनाएं भी लम्बित है।
रेल परियोजनाओं को लेकर केन्द्र सरकार की नीति में हुए बदलाव से भी इस परियोजना को झटका लगा है। नई नीति के तहत राजस्व आय (रेट ऑफ रेवेन्यू) को देखते हुए 50 फीसदी राज्य सरकार की भागीदारी व निशुल्क जमीन देना तय किया गया। इसके लिए राजस्थान सरकार तैयार नहीं हुई। यही कारण है कि राज्य सरकार द्वारा सयुंक्त उपक्रम कंपनी नहीं बनाने से अब तक अन्य कई रेल परियोजनाएं भी सिरे नहीं चढ़ी हैं। रेल बजट 2018 में केन्द्र सरकार ने परबतसर-किशनगढ़ रेलमार्ग को 900 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। लेकिन पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप की संयुक्त योजना होने के कारण कोई ध्यान नहींं दिया गया। इसी प्रकार नोखा से सीकर नई रेल लाइन, सरदारशहर से हनुमानगढ़, पुष्कर-मेड़ता, लाडनूं से कुचामन वाया डीडवाना, नागौर से फलोदी, सुजानगढ़ से सीकर, सादुलपुर से तारानगर की योजनाएं भी लम्बित है।
परबतसर-किशनगढ़ रेलमार्ग का यह होगा लाभ सामरिक दृष्टि से यह अत्यन्त महत्वपूर्ण रेल मार्ग साबित हो सकता है। नीमच, नसीराबाद की छावनियां सीधे बीकानेर एवं जैसलमेर से जुडऩे पर सेना के लिए दूरी कम होने के साथ समय की बचत होगी। नसीराबाद व नीमच छावनी का बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर जाने के लिए कम दूरी का वैकल्पिक मार्ग हो सकता है।
शैक्षिक दृष्टि से परबतसर से किशनगढ़ 35 किमी क्षेत्र को जोडऩे से बीकानेर से अजमेर की दूरी करीब 60 किमी कम हो सकती है। इससे शिक्षा नगरी अजमेर व कोटा से जोधपुर, नागौर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर सहित कई जिले इनसे जुड़ जाएंगे। साथ ही राजस्थान शिक्षा बोर्ड अजमेर एवं शिक्षा निदेशालय बीकानेर की दूरी भी कम हो सकती है।
प्रवासी राजस्थानियोंं के लिए वैकल्पिक मार्ग
वर्तमान में बीकानेर, चुरू, झुंझुनु, नागौर जिले के निवासियों को दक्षिण भारत के लिए जयपुर या जोधपुर होकर जाना पड़ता है, जो दूरी व समय के लिहाज से अधिक है। किशनगढ-परबतसर रेल सेवा से इन जिलों का सीधा सम्पर्क दक्षिण भारत से कम दूरी व समय में हो सकेगा।
वर्तमान में बीकानेर, चुरू, झुंझुनु, नागौर जिले के निवासियों को दक्षिण भारत के लिए जयपुर या जोधपुर होकर जाना पड़ता है, जो दूरी व समय के लिहाज से अधिक है। किशनगढ-परबतसर रेल सेवा से इन जिलों का सीधा सम्पर्क दक्षिण भारत से कम दूरी व समय में हो सकेगा।
औद्योगिक क्षेत्र मकराना से किशनगढ़ की दूरी 60 किमी है। इस दूरी के बीच मकराना व किशनगढ़ के अलावा रूपनगढ, परबतसर व बिदियाद औद्योगिक क्षेत्र है। जिनमें करीब 10 हजार औद्योगिक इकाइयां मार्बल, हैण्डलूम, स्टील, टैक्सटाइल की है। जिनमें काम करने के लिए मकराना-परबतसर से सैंकड़ों लोग रोजाना जाते हैं। परबतसर से किशनगढ़ को रेलवे सेवा से जोडऩे से इन्हें काफी राहत मिलेगी।
इनका कहना
परबतसर -किशनगढ़ के बीच रेल ट्रेक नहीं होने से रोजाना सैकड़ों की संख्या में किशनगढ़ व अजमेर जाने वाले लोग रोडवेज बस, टैक्सी एवं निजी साधनों पर निर्भर हैं। इससे अतिरिक्त समय एवं धन की बर्बादी होती है। परबतसर – किशनगढ़ रेल मार्ग शुरू होने पर मार्बल व्यावसायियों को मुम्बई, दक्षिणी भारत में जाने के लिए किशनगढ़-अजमेर से सीधी ट्रेनें मिले सकेगी।
परबतसर -किशनगढ़ के बीच रेल ट्रेक नहीं होने से रोजाना सैकड़ों की संख्या में किशनगढ़ व अजमेर जाने वाले लोग रोडवेज बस, टैक्सी एवं निजी साधनों पर निर्भर हैं। इससे अतिरिक्त समय एवं धन की बर्बादी होती है। परबतसर – किशनगढ़ रेल मार्ग शुरू होने पर मार्बल व्यावसायियों को मुम्बई, दक्षिणी भारत में जाने के लिए किशनगढ़-अजमेर से सीधी ट्रेनें मिले सकेगी।
राजेश गर्ग, अध्यक्ष , परबतसर विकास समिति – हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे ने मकराना-परबतसर के बीच 22 किलोमीटर रेलवे लाइन पर शटल ट्रेन का संचालन शुरू किया था। लेकिन जनप्रतिनिधियों के ज्यादा रुचि नहीं लेने से परबतसर-किशननगढ़ परियोजना पर काम शुरू नहीं हुआ है। वर्तमान सांसद भी इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहींं ले रहे हैं। परियोजना सिर्फ चुनावी घोषणा बनकर रह गई। कोरोना के बाद से शटल भी बंद पड़ी है।
अरुण माथुर, पूर्व पालिकाध्यक्ष, पतबतसर – राज्य सरकार से रेल परियोजनाओं के लिए सयुंक्त उपक्रम की कंपनी स्थापित करने की मांग की है। गुजरात, केरल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ ने ऐसी कंपनी बना ली हैं। मगर राजस्थान में कम्पनी नहीं बनने से कई रेल परियोजनाएं अटकी हुई है।
अनिल कुमार खटेड़ , सदस्य, उत्तर-पश्चिम रेलवे परामर्शदात्री समिति। – इस परियोजना पर फिलहाल कोई कार्य नहींं हो रहा है। राज्यसरकार की भागीदारी की स्वीकृति नहीं मिलने से लम्बित है। रेलवे की ओर से सरकार को कई बार रिवाइडर पत्र भेजे जा चुके हैं।
शशिकिरण, सीपीआरओ, उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर।