नागौर

पालना गृह में आए बच्चे को मॉरिशस में मिला नया घर, पासपोर्ट बनते ही भरेगा उड़ान

Nagaur News : जन्म लेते ही नसीब में भले ही पालना गृह आए पर अपनों से ठुकराए इन बच्चों को अपनाने वालों की भी कमी नहीं है। एक-दो साल शिशु-गृह में रहने के बाद किसी को देश में तो किसी को विदेश में घर मिल रहा है यानी गोद लेने वाले देश ही नहीं विदेशी भी कम नहीं हैं।

नागौरJan 11, 2024 / 01:01 pm

Ashish

Patrika News : जन्म लेते ही नसीब में भले ही पालना गृह आए पर अपनों से ठुकराए इन बच्चों को अपनाने वालों की भी कमी नहीं है। एक-दो साल शिशु-गृह में रहने के बाद किसी को देश में तो किसी को विदेश में घर मिल रहा है यानी गोद लेने वाले देश ही नहीं विदेशी भी कम नहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक पिछले दस साल में करीब सौ से अधिक लावारिस बच्चे विदेशी दंपती के गोद जा चुके हैं। करीब दो साल पहले कुचामन के पालना गृह में मिला लावारिस बच्चा अब मॉरिशस में पाला-पोसा जाएगा। वहां के दम्पती को करीब चार साल के इंतजार के बाद यह खुशी मिली है। कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बच्चे की खुशनसीबी का पासपोर्ट/वीजा तैयार होते ही वो अपने नए घर के लिए उड़ान भरेगा। यह दूसरा बालक है जो विदेश जा रहा है। दिसम्बर-2021 में एक शिशु स्वीडन गया था।

सूत्रों के अनुसार मॉरिशस में उसे गोद लेने वाले दम्पती नर्सिंग अधिकारी लक्ष्मीनारायण और उनकी पत्नी रिद्धिमा ने इस बच्चे को गोद लिया है। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के जरिए नागौर जिले के शिशु गृह से गोद जाने वाला यह 19वां बच्चा है। बच्चे की उम्र करीब दो साल है। दंपती ने इंटरनेशनल एडोप्शन एजेंसी (आईएए) के जरिए बच्चा गोद लेने के लिए करीब चार साल पहले ऑनलाइन आवेदन किया था। आईएए में होने वाले रजिस्ट्रेशन में दूसरे देश का बच्चा गोद लिया जा सकता है। दंपती के कोई संतान नहीं है।

केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी (कारा) के संयोजन से इस दंपती को नागौर के इस बच्चे को गोद दिया गया है। बच्चे की फोटो व अन्य दस्तावेज-जानकारी मिलने के बाद इस दंपती ने शिशु को लेने की जानकारी दी। बाद में दोनों नागौर पहुंचे, यहां जिला कलक्टर डॉ अमित यादव ने तमाम कानूनी प्रक्रिया को हरी झण्डी देकर इन्हें बच्चा सुपुर्द किया। अब बच्चे के पासपोर्ट/वीजा की प्रक्रिया चल रही है। उसके बाद दंपती उसे अपने साथ ले जाएंगे।

सौ के आसपास
जोधपुर जिले के सरकारी गृह से 3 और अन्य संस्था से 17 लावारिस बच्चों को विदेशी दम्पती गोद ले चुके हैं। अजमेर जिले से चार बच्चे विदेश में गोद जा चुके हैं। राज्यभर से विदेश में गोद गए बच्चों की संख्या सौ के आसपास है। बीकानेर से 52 में से 3 बच्चों को विदेश में गोद ले लिया। भीलवाड़ा जिले के 48 बच्चों को भारत में ही गोद दिया गया। अन्य जिलों से भी बच्चे विदेश गए।

 

केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी (कारा) में आवेदन करने वालों की संख्या दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। इस साइट पर दंपती को तीन स्टेट अथवा पूरे भारत का ऑप्शन मिलता है। यहां संबंधित बच्चों का पूरा रिकॉर्ड मिलता है। जिसमें उम्र के साथ मेल-फीमेल का ऑप्शन होता है। इस समय वेटिंग पांच हजार से अधिक चल रही है। एक अनुमान के मुताबिक गोद लेने वाले इन इच्छुक दंपती को चार-पांच बरस का इंतजार करना पड़ता है। इससे जुड़े अधिकारियों का मानना है कि एक सुखद पहलू यह है कि अधिकांश दंपती गोद लेने वाले बच्चे की तुलना में बच्चियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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गोद जाने वाला 19वां बच्चा
सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2011 से नागौर/कुचामन समेत जिले के अन्य पालना गृह में मिलने वाले बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया चल रही है। तकरीबन दस साल में डेढ़ दर्जन बच्चे गोद दिए जा चुके हैं। यह गोद जाने वाला 19वां बच्चा है। ये वही बच्चे हैं जिनके अपने ही न जाने किन मजबूरियों के चलते इन्हें पालना गृह में छोड़ गए थे।

लिखित स्वीकृति और पॉवर ऑफ अटार्नी मिलने के बाद बच्चे का पासपोर्ट बनाने के साथ अन्य समस्त विधिक कार्रवाई हो रही है। इससे पहले बाल कल्याण समिति की एक बैठक हुई, जिसमें गोद देने के संबंध में प्रस्ताव को पारित किया जाएगा। इसके बाद संबंधित दस्तावेज कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने गोद देने पर सहमति जताकर बच्चे को दंपती के हवाले कर दिया।

इनका ये कहना है…
समस्त कागजी कार्रवाई पूरी कर मॉरिशस दम्पती को यह शिशु गोद दिया गया है। पासपोर्ट/वीजा बनने के बाद बच्चा इनके साथ रवाना होगा।
सुरेंद्र पूनिया, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग, नागौर

इससे पहले एक शिशु स्वीडन के दंपती को गोद गया है। नागौर से यह दूसरा बच्चा गोद में विदेश जा रहा है। इसका फॉलोअप आईएए करती है, आवश्यकता पड़ने पर कारा के जरिए जानकारी आदान-प्रदान की जा सकती है।
मनोज सोनी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति नागौर

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