सरकार से लेेंगे विधिक राय
राठौड़ ने कहा कि गैर मुमकिन अंगोर व गौचर भूमि दर्ज राजस्व भूमि के संबंध में राज्य सरकार द्वारा विधान सभा में विधयेक लाकर जनता को राहत देने के लिए प्रस्ताव भिजवाया जाएगा। राज्य सरकार व जिला कलक्टर की ओर से आबादी विस्तार के लिए नगर पालिका को आवंटित या हस्तांतरित भूमि पर नगर पालिका ने कॉलोनियां काटी है। आवंटन के बाद शेष बची भूमि राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन अंगोर व गैर मुमकिन गौचर दर्ज है लेकिन अधिकांश भूमि पर लोग निवास कर रहे है। मौके पर अंगोर,कैचमेंट एरिया नहीं है। नगर परिषद यहां सडक़, नाली-नाले, बिजली, पानी की सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है लेकिन नगर परिषद को राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही तथा जनता को पट्टे/टाईटल नहीं मिल रहे है।
भूमि रुपांतरण में आ रही दिक्कत
राठौड़ ने कहा कि शहर में कुछ भूमि ऐसी है जो वर्ष 1947 में गैर मुमकिन अंगोर दर्ज थी परन्तु भू-प्रबन्धक के समय यथा स्थिति खातेदारी अधिकार दे दिए गए तथा समय समय पर राजस्व न्यायालयों के फैसलों द्वारा खातेदारी दे दी गई भूमि पर खातेदारों द्वारा कॉलोनियां काटकर लोगों को बसा दिया गया लेकिन उच्च न्यायालय के निर्णयों की वजह से भूमि रूपान्तरण के पट्टे नहीं दिए जाने से नगर परिषद को करोड़ों रुपए के राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है तथा जनता को भारी असुविधा हो रही है। गैर मुमकिन अंगोर व गौचर भूमि पर सैकड़ों सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं चल रही है। अंगोर/गोचर भूमि मौके पर नहीं है। उनकी किस्म बदल चुकी है। केवल राजस्व रिकॉर्ड में मौके की स्थिति अनुसार परिवर्तन करना है।