नागौर

Nagaur.परिवहन एवं पुलिस विभाग व वाहन एजेंसियां के गोरखधंधे का सच देखकर हतप्रभ रह गया नागौर शहर

नागौर जिले में परिवहन, पुलिस विभाग व वाहन एजेंसियों की मिलीभगत से बिक रहे खुली बाड़ी के ऑटोरिक्शा

नागौरOct 11, 2017 / 12:48 pm

Sharad Shukla

The day-to-day action taken is the black truth of the collusion of police, transport and vehicle agencies in Nagaur

शरद शुक्ला-नागौर. परिवहन विभाग में खुली बाडी के सवारी ऑटो वाहनों का नियमानुसार पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है, लेकिन जिले भर में यही वाहन सडक़ों पर सरपट चलते देखे जा सकते है। नियमानुसार कागजी प्रक्रिया नामुमकिन, लेकिन जेब भारी है तो यह भी आसानी से हो जाता है। बेशक खुली बाडी के सवारी ऑटो वाहन बेचने पर प्रतिबंध हो, लेकिन आपने पैसे खर्च किए तो जिले में पुलिस या परिवहन विभाग का कोई भी कर्मी आपकों नहीं पकड़ेगा, एक बार जांच के दायरे में आप आ गए तो दूसरे ही पल छोड़
दिए जाएंगे।
अविश्वसनीय, लेकिन नागौर में यह सब कुछ संभव है! इसमें कागजी प्रक्रिया पूरी होगी, बाकायदा पंजीकरण के दौरान उसमें बंद सवारी ऑटो वाहन की फोटो भी लगेगी, लेकिन वही गाड़ी बाहर सडक़ों पर अप्रत्याशित रूप से खुली बाडी के वाहन के तौर आसानी से मिल जाएगी। यह सब कुछ हो रहा है परिवहन एवं पुलिस विभाग के साथ वाहन विक्रेता एजेंसियों के तालमेल से। ऑटो चालक शरीफ खान द्वारा इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक को दी गई शिकायत में यह ख्ुालासा हुआ है। खान द्वारा लगाए गए आरोपों की पड़ताल में जुटी राजस्थान पत्रिका ने वाहनों की जानकारी करने के साथ ही तीन पहिया वाहन विक्रेताओं से बात की। उनका कहना था कि सबकुछ हो जाएगा, आप तो गाड़ी के पूरे पैसे दे दो बस। शहर में दो विभागों के साथ कथित रूप से वाहन एजेंसियों की मिलीभगत ने खुले ऑटो टैक्सियों में यात्रा करने वालों के लिए चलते-फिरते खतरे बन गए हैं। खुली बाडी के वाहन की न केवल एजेसिंयों व उनके कथित रूप से रखे गए प्रतिनिधियों के मार्फत धड़ल्ले से बिक्री होती है, बल्कि परिवहन विभाग से बाकायदा उस गाड़ी का पंजीकरण कराकर खरीदार को कागज सहित ऑटो सौंप दिया जाता है। यह गोरखधंधा अर्से से चल रहा है। इसमें जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों को खासी मोटी रकम मिलती है। ऐसा आरोप लगाने वाले चालक का कहना है।
तो फिर आपके लिए मुश्किल हो जाएगी
जानकारों की माने तो ऑटो वाहन लेने के बाद किन्ही कारण से एजेंसी संचालक से विवाद हुआ तो फिर दस मिनट में आपका वाहन यातायात पुलिस की गिरफ्त में होगा। ऐसा ही कुछ शरीफ खान के साथ हुआ। शरीफ खान की गलती केवल इतनी थी कि उसने एजेंसी संचालक से कह दिया कि रजिस्ट्रेशन कागज तो आपने बंद ऑटो के रजिस्ट्रेशन का दिया है, जबकि यह खुली है। इसके दस मिनट में ही खान के ऑटो का यातायात पुलिस ने कागजात नहीं दिखाने के आरोप में चालान कर दिया। इसके बाद शरीफ खान ने जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश होकर ज्ञापन दिए जाने के साथ ही पुलिस एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए। बताया कि यातायात पुलिसकर्मी एवं परिवहन विभाग मिलकर वाहन एजेंसियों के मार्फत यह गोरखधंधा लम्बे समय से चल रहा है।
देखकर भी अनदेखी करता परिवहन विभाग
परिवहन विभाग की ओर से इस वर्ष जनवरी से अब तक हालांकि सवारी ऑटो चालकों के चालान किए गए, लेकिन यह संख्या तिहाई तक भी नहीं पहुंची। केवल दहाई तक ही सिमटकर रह गई। जबकि शहर में सवारी ऑटो वाहनों की संख्या एक हजार से ज्यादा, और जिले में यह आंकड़ा तकरीबन दस हजार तक पहुंच
जाता है।
खुली बाडी का ऑटो दिखाने के साथ ही सौदेबाजी शुरू
पड़ताल में खुलासा हुआ कि वाहन विक्रेताओं की भाषा में खुली बाडी के ऑटो वाहन को प्लेन ऑटो कहा जाता है। शोरूम में जाने पर खुली बाडी का ऑटो दिखाने के साथ ही सौदेबाजी शुरू हो जाती है। नया ऑटो मिलेगा करीब दो लाख 90 हजार में, प्लेन लिया तो फिर इसमें से कुछ राशि कम हो जाएगी। इसके बाद भी परिवहन विभाग में पंजीकरण होगा बंद बाडी के सवारी ऑटो वाहन का। खुली बॉडी के ऑटो पर तो रोक लगी हुई है, परिवहन विभाग में पंजीकरण होगा ही नहीं के सवाल पर एजेंसी की ओर से कहा जाता है कि यहां पर सब कुछ होता है, बस जेब में दम होना चाहिए। यानि कि आपकी जेब में पैसा है तो फिर केवल शोरूम जाकर गाड़ी लेनी पड़ेगी, बाकी का काम एजेंसी वालों का रहेगा, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।
इस तरह से खुला गोरखधंधे का राज
शरीफ खान ने अजमेर रोड स्थित एक एजेंसी से थ्री व्हीलर खरीदा। एजेंसी संचालक ने शरीफ खान को इसके पंजीकरण कागज परिवहन विभाग से बंद गाड़ी के बनवाकर दिए। वास्तविक रूप में सवारी ऑटो वाहन खुली बाडी का था। इसके बाद उससे कहा गया कि वह ऑटो चलाए, पूरे शहर में उसे कोई रोकेगा नही। इस पर शरीफ ने सवालिया निशान लगाया तो उसी दिन यातायात प्रभारी ने शरीफ के ऑटो का कागजात नहीं होना मानते हुए चालान कर दिया। इसके बाद शरीफ खान एसपी के समक्ष पेश हुआ और आरोप लगाया कि पूरे शहर में खुली बाडी के वाहन पुलिस एवं परिवहन विभाग तथा एजेंसी की मिलीभगत से चल रहे हैं, लेकिन उसे एजेंसी संचालक की शह पर यातायात प्रभारी की ओर से परेशान किया जा रहा है। इस संबंध में एजेंसी संचालक से बात करने पर उसका कहना था कि उसने अब वाहनों के खरीद-फरोख्त का काम बंद कर दिया है। उसके ऊपर निराधार दबाव बनाने के लिए झूठे आरोप शरीफ ने लगाए हैं।
आए दिन कार्रवाई की जाती है
जिला परिवहन अधिकारी ओमप्रकाश बुडानिया का कहना है कि खुली बाडी के ऑटो वाहनों के खिलाफ आए दिन कार्रवाई की जाती है। जांच में खुली बाडी के साथ ही निर्धारित मापदंडों का उल्लंघन मिलने पर कार्रवाई होती है।
कार्रवाई तो करते हैं…
यातायात प्रभारी शिवलाल बिश्नोई ने बताया कि खुली बाडी के सवारी ऑटो वाहनों पर कार्रवाई की जाती है। यह प्रतिबंधित हैं तो फिर इनके फिटनेस परिवहन विभाग की ओर से दिए ही क्यों जाते हैं।

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