गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के करीब तीन साल बाद गत जून माह में नागौर में जिला स्तरीय नंदीशाला को शुरू किया गया था, जिसमें सरकारी घोषणा के अनुसार कुल 50 लाख रुपए खर्च कर गोवंश के लिए टिन शेड, पानी की खेळियां, चारे का भंडार सहित अन्य सुविधाएं विकसित करनी है। 50 लाख में मात्र 5 लाख रुपए नंदीशाला संचालक समिति को खर्च करने हैं, जबकि 45 लाख रुपए का सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा। इसके बावजूद नंदीशाला में इतनी बड़ी संख्या में गोवंश की मौत होना चिंता का कारण है।
ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप
नंदीशाला परिसर में डेढ़ दर्जन से अधिक गोवंश की अकाल मौत की सूचना मिलने पर शुक्रवार को चूंटीसरा के पूर्व सरपंच खींयाराम राड़, विजेन्द्र ढाका, जेठाराम भोबिया, भंवरराम ढाका, नरपतसिंह, सुखाराम, श्रवण ढाका, पुरखाराम, विनोद, सुरेश, भगवानाराम, प्रवीण, शेराराम, कालूराम, मोहनराम, हुकमपुरी, दुर्गाराम आदि ने पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपी शिकायत में गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों ने बताया कि नंदीशाला में गोवंश को समय पर चारा व पानी नहीं दिया जा रहा है, जिससे गोवंश की मौत हो रही है। मरने वाले गोवंश को परिसर में ही गड्ढ़े खोदकर दफनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अव्यवस्था एवं खारे पानी की वजह से पिछले काफी समय से गोवंश के मरने क्रम जारी है। नंदीशाला का परिसर 300 बीघा में है, जहां खेती कर ली, यदि गोवंश के लिए छोड़ते तो यह स्थिति नहीं होती। शुक्रवार को जब ग्रामीण पहुंचे तो 18 से 20 गोवंश गड्ढ़े में मृत पड़ा था।
नंदीशाला परिसर में डेढ़ दर्जन से अधिक गोवंश की अकाल मौत की सूचना मिलने पर शुक्रवार को चूंटीसरा के पूर्व सरपंच खींयाराम राड़, विजेन्द्र ढाका, जेठाराम भोबिया, भंवरराम ढाका, नरपतसिंह, सुखाराम, श्रवण ढाका, पुरखाराम, विनोद, सुरेश, भगवानाराम, प्रवीण, शेराराम, कालूराम, मोहनराम, हुकमपुरी, दुर्गाराम आदि ने पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपी शिकायत में गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों ने बताया कि नंदीशाला में गोवंश को समय पर चारा व पानी नहीं दिया जा रहा है, जिससे गोवंश की मौत हो रही है। मरने वाले गोवंश को परिसर में ही गड्ढ़े खोदकर दफनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अव्यवस्था एवं खारे पानी की वजह से पिछले काफी समय से गोवंश के मरने क्रम जारी है। नंदीशाला का परिसर 300 बीघा में है, जहां खेती कर ली, यदि गोवंश के लिए छोड़ते तो यह स्थिति नहीं होती। शुक्रवार को जब ग्रामीण पहुंचे तो 18 से 20 गोवंश गड्ढ़े में मृत पड़ा था।