जिम्मेदार यहां कार्रवाई के नाम पर मात्र औपचारिकता कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि पहाड़ी धीरे-धीरे छलनी होती नजर आ रही है। पहाड़ी पर हो रहे ब्लास्ट की पड़ताल करने पत्रिका टीम पहुंची तो आस-पास की बस्ती के लोगों ने बताया कि रात आठ बजते ही सब दहशत में आ जाते हैं।
आवाज थमने के बाद ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में पत्थर भरकर ले जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो तड़के चार-पांच बजे तक चलता है। ग्रामीणों ने बताया कि तेज ब्लास्ट होने के कारण रात-रात भर जागना पड़ता है कि कोई पत्थर मकान पर न आ गिरे।
पहाड़ी से महज डेढ़ किलोमीटर पर ही पुलिस कार्यालय
आश्चर्य की बात तो यह कि पनवाड़ी में जिस जगह पर ब्लास्टिंग हो रही है, उससे महज डेढ़ किमी के दायरे में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालय हैं। पहाड़ियों का पत्थर पुलिस कार्यालयों के सामने से होकर जाता है, लेकिन पुलिस चुप है। जिस जगह ब्लास्ट व अवैध खनन होता है, वहां से मात्र आधा किलोमीटर पर मुख्य रोड पर वन विभाग की चौकी है, लेकिन एक्शन कुछ भी नहीं होता। पहाड़ियों में अवैध खनन और विस्फोट अफसरों की मिलीभगत की ओर संकेत करती है। विस्फोट करने का सिलसिला शुक्रवार से रविवार तक चलता है। माफिया शुक्रवार को ही रात में ड्रिल मशीनों से पहाड़ी में छेदकर विस्फोट की तैयारी कर लेते हैं। शनिवार-रविवार को सरकारी कार्यालय के अवकाश का मौका देखकर विस्फोट कर सुबह पत्थरों को ठिकाने लगा देते हैं।
अवैध खनन एवं ब्लास्ट पर वन विभाग रेंजर संदीप सिंह शेखावत ने कहा कि वन विभाग की ओर से समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन खनन माफिया हमला कर देते हैं। पिछले दिनों भी पनवाड़ी और पांचवा की पहाड़ियों में कार्रवाई के दौरान हमले हुए थे। हमलावरों एवं अवैध खनन माफिया के खिलाफ कुचामन व चितावा पुलिस थानों में मुकदमे भी दर्ज करवाए। ऐसे में यदि पुलिस हमारा साथ दे तो कुछ लगाम लग सकती है।