नागौर. वो जन्मते ही पालना गृह में छोड़ दिए गए। उनके अपने ही बड़ी निष्ठुरता से उन्हें त्याग गए। गोद में आने से चंद घंटों बाद पालना गृह में छोड़े गए इन डेढ़ दर्जन बच्चों की खुशनसीबी है कि वे शान से पलकर बढ़े हो रहे हैं। माता-पिता भले ही दूसरे हैं, गोद लेने वाले ऐसे ही दम्पतियों ने भगवान के भरोसे मरने के लिए छोडे गए नवजात को अपनाया और अब उन्हें जिंदगी की खुशियां देने में लगे हैं। इन 18 में से पांच बेटियां हैं।
सूत्रों के अनुसार तकरीबन चार साल में नागौर के पालना गृह में मिले लावारिस व अज्ञात बच्चों में से कोई पलने स्वीडन/मॉरिशस गया तो कोई दिल्ली-मुम्बई। कभी बेटियों के जन्म को बदनसीब माना जाता था। उनके पैदा होने पर हत्या तक कर दी जाती थी या फिर उन्हें ऐसे ही फेंक दिया जाता था मरने को। बदलाव ऐसा कि अब बेटियों की तुलना में बेटे अधिक फेंके जा रहे हैं। चार साल में ही तीस फीसदी बेटियां ही पालना गृह में मिली हैं , जबकि 70 फीसदी बेटे। इससे यह भी साफ हो गया कि अपने ही बच्चों को पालने में छोड़कर पीछे हट रहे हैं। वजह सामाजिक बदनामी हो या फिर कोई अन्य।
सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2021 में चार ऐसे शिशु गोद गए। इनमें एक मॉरिशस तो दूसरा स्वीडन। वर्ष 2022 दो में से एक नई दिल्ली के दम्पती को गोद दिया गया। वर्ष 2023 में आठ ऐसे शिशुओं को गोद दिया गया जिनमें तीन-तीन जयपुर-महाराष्ट्र, दो गुजरात तो वर्ष 2024 में दो गुजरात तो एक तेलांगना के दम्पती को गोद गया। एक शिशु हाल ही में एमसीएच विंग के पालना गृह में मिला जो अभी बाल कल्याण समिति की देखरेख में शिशुगृह में है।
अभागे को कौन स्वीकारे.. सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इन अभागों में से एक के भी माता-पिता का पता नहीं लगा। सिर्फ एक केस ऐसा आया जिसमें दम्पती वापस अपना शिशु ले गया, जबकि एक नवजात अब भी बाल कल्याण समिति की देखरेख में है। इसके माता व परिजन का पता चल चुका है पर ना तो इस पर कोई दावा किया ना ही उनका खुलासा पुलिस अथवा मेडिकल विभाग ने किया। असल में इस मामले में बच्चे को जन्म देने वाली नाबालिग थी, जिसने जन्मते ही एमसीएच विंग के पालना गृह में इसे छोड़ दिया। सबकुछ जानते हुए भी इस नाबालिग मां का बच्चा अब पूरी तरह बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) के संरक्षण में है और यह भी अन्य शिशुओं की तरह केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के तहत ही गोद जाएगा।
एक भी शिकायत नहीं, फॉलोअप रेगुलर सूत्रों से पता चला है कि मॉरिशस गया शिशु अब दो साल का हो गया। अन्य बच्चे भी कोई डेढ़ तो कोई ढाई साल के हो गए। विदेशी दम्पती को गोद गए बच्चों की फॉलोअप रिपोर्ट वहां की कारा एजेंसी भारत को भेजती है। इसमें इन बच्चों के पालन-पोषण, सुरक्षा, विकास, स्वास्थ्य से सम्बंधित सूचना होती है। यह हर छह माह में मिलती है। भारत में अलग-अलग जगह गोद गए बच्चों की रिपोर्ट जिला स्तर से कारा को भेजी जाती है। फॉलोअप में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है।
इनका कहना… इन अठारह में से दो बच्चे विदेश गए हैं। अभी तक गोद गए बच्चों की कोई शिकायत नहीं मिली। शिशु गृह में पल रहे बच्चे के माता-पिता की स्थिति स्पष्ट होने के बाद भी किसी की ओर से दावा नहीं किया गया तो सीडब्लूसी ही इसे कारा के जरिए गोद देगी।
-डॉ. मनोज सोनी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, नागौर।