किसानों ने बताया कि उनकी जमीनें सीमेंट कम्पनियां अवाप्त कर रही हैं, लेकिन इन कम्पनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया नहीं हो रहा है। लोगों ने कहा कि सरकार ऐसे प्रावधान करे कि स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता मिले।
ग्रामीण पर्यटन पर सरकार दे ध्यान
खींवसर के धोरों में ग्रामीण पर्यटन की प्रचुर संभावनाएं हैं। सरकार इस ओर ध्यान दे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र में तेजी से विकास होगा।त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी सीट
खींवसर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का गढ़ माना जाता है। इस बार उपचुनाव में आरएलपी मुखिया हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल यहां से चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने रेवंतराम डांगा को चुनाव मैदान में उतारा है। डांगा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी। कांग्रेस ने डॉ. रतन चौधरी को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। तीनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशी जाट समुदाय से हैं। इस कारण चुनाव ने त्रिकोणीय संघर्ष का रूप ले लिया है। खींवसर सीट पर अब अन्य समाजों के वोट निर्णायक भूमिका में रहेंगे।
इनका कहना है…
क्षेत्र में ढांचागत विकास तो हुआ लेकिन सरकारी तंत्र कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से शिक्षण व्यवस्था चरमराई हुई है। – मो. रफीक ताजक, व्यवसायी खींवसर की पिछले पन्द्रह वर्षों से सरकार में सहभागिता नहीं रहने से अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। किसानों को बिजली व ग्रामीणों को पेयजल व चिकित्सा जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। – रामकैलाश जाखड़, युवा उद्यमी
2023 का चुनाव
हनुमान बेनीवाल – आरएलपी – 79,492 रेवंतराम डांगा – भाजपा – 77,433 तेजपाल मिर्धा – कांग्रेस – 27,763 जीत का अंतर – 2059मतदाता
– कुल : 283269 – पुरुष : 147933 – महिला : 135336
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