दरअसल, नागौर जिले की खींवसर तहसील क्षेत्र के डेहरू गांव निवासी बीमित किसान परसाराम ने फसल खराबा होने पर कम्पनी को सूचना दी, जिस पर कम्पनी के सर्वेयर देवेन्द्र ने 25 सितम्बर 2021 को खेत पर पहुंचकर तत्कालीन कृषि पर्यवेक्षक गोविन्द्रराम व किसान की मौजूदगी में सर्वे किया और 4 हैक्टेयर जमीन में बोई गई मूंग की फसल में 87 प्रतिशत नुकसान मानते हुए सर्वे फॉर्म में दर्ज किया। सर्वे फॉर्म पर तीनों के हस्ताक्षर भी हैं, जिसकी कॉपी किसान के पास है। वर्ष 2022 में जब खरीफ-2021 का क्लेम जारी किया गया तो परसाराम का नाम नहीं था। परसाराम ने कई बार कृषि विभाग के चक्कर लगाए, लेकिन उचित जवाब नहीं मिला। इस पर किसान ने आरटीआई के माध्यम से सूचना मांगी तो कंपनी ने 39 हजार रुपए का क्लेम डालकर एक फर्जी सर्वे फॉर्म भरकर आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि नुकसान के अनुसार क्लेम जारी कर दिया है।
जानिए, क्या किया फर्जीवाड़ा
बीमा कम्पनी के स्टेट हैड इमरान अहमद खान की ओर से भेजे गए आरटीआई के जवाब में एक सर्वे फॉर्म अटैच किया गया है, जिसमें न केवल चार हैक्टेयर की जगह जमीन दो हैक्टेयर की गई है, बल्कि नुकसान का प्रतिशत भी 87 से घटाकर 60 कर दिया है। इसके साथ कृषि पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर भी बदले हुए हैं। डेहरू में वर्तमान में शर्मिला करीर कृषि पर्यवेक्षक है, फॉर्म पर उसके हस्ताक्षर व मोहर लगी हैं, जो सितम्बर 2022 से डेहरू में कार्यरत है, जबकि सर्वे सितम्बर 2021 में हो गया था। फॉर्म पर किसान के हस्ताक्षर भी फर्जी किए हुए हैं।
बीमा कम्पनी के स्टेट हैड इमरान अहमद खान की ओर से भेजे गए आरटीआई के जवाब में एक सर्वे फॉर्म अटैच किया गया है, जिसमें न केवल चार हैक्टेयर की जगह जमीन दो हैक्टेयर की गई है, बल्कि नुकसान का प्रतिशत भी 87 से घटाकर 60 कर दिया है। इसके साथ कृषि पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर भी बदले हुए हैं। डेहरू में वर्तमान में शर्मिला करीर कृषि पर्यवेक्षक है, फॉर्म पर उसके हस्ताक्षर व मोहर लगी हैं, जो सितम्बर 2022 से डेहरू में कार्यरत है, जबकि सर्वे सितम्बर 2021 में हो गया था। फॉर्म पर किसान के हस्ताक्षर भी फर्जी किए हुए हैं।
पहले कहा – नो क्लेम, फिर 39 हजार डाले
बीमा कम्पनी सामान्य किसानों को क्लेम जारी ही नहीं करती है, भले ही उनके नुकसान हुआ हो। परसाराम के पूरी फसल नष्ट होने के बावजूद कम्पनी ने पहले क्लेम नहीं दिया। परसाराम ने जब फसल बीमा के विशेषज्ञ रामपाल धौलिया की मदद से कम्पनी को बार-बार पत्र लिखे तो अलग-अलग जवाब देकर टालते रहे, लेकिन जब आरटीआई में सूचना मांगी तो 39 हजार रुपए का क्लेम खाते में जमा करवा दिया। इस प्रकार के जाने कितने किसान होंगे, जिनके फसल खराबा होने के बावजूद कम्पनी क्लेम नहीं देती और जागरुकता के अभाव में किसान परसाराम की तरह पत्रबाजी नहीं कर पाते।
बीमा कम्पनी सामान्य किसानों को क्लेम जारी ही नहीं करती है, भले ही उनके नुकसान हुआ हो। परसाराम के पूरी फसल नष्ट होने के बावजूद कम्पनी ने पहले क्लेम नहीं दिया। परसाराम ने जब फसल बीमा के विशेषज्ञ रामपाल धौलिया की मदद से कम्पनी को बार-बार पत्र लिखे तो अलग-अलग जवाब देकर टालते रहे, लेकिन जब आरटीआई में सूचना मांगी तो 39 हजार रुपए का क्लेम खाते में जमा करवा दिया। इस प्रकार के जाने कितने किसान होंगे, जिनके फसल खराबा होने के बावजूद कम्पनी क्लेम नहीं देती और जागरुकता के अभाव में किसान परसाराम की तरह पत्रबाजी नहीं कर पाते।
मेरे हस्ताक्षर नहीं है
मैं डेहरू में सितम्बर 2022 से पोस्टेट हूं, परसाराम के सर्वे फॉर्म पर जो हस्ताक्षर किए हुए हैं, वह मेरे नहीं है।
– शर्मिला करीर, कृषि पर्यवेक्षक, डेहरू कम्पनी की सरासर बेईमानी
खरीफ 2021 में मेरी चार हैक्टेयर में मूंग की पूरी फसल ज्यादा बारिश के कारण खराब हो गई थी। मैंने 72 घंटे के अंदर कंपनी को सूचित किया। कृषि पर्यवेक्षक गोविंदराम व कंपनी सर्वेयर देवेंद्र खिलेरी ने मेरी मौजूदगी में खेत का सर्वे किया और 87 प्रतिशत खराबा फॉर्म में लिखा। मैंने फॉर्म की फोटो भी ली थी। क्लेम देते समय मुझे नहीं दिया। मैंने पत्र लिखे तो कम्पनी के प्रतिनिधि अलग-अलग जवाब देकर टालते रहे। फिर मैंने आरटीआई से सूचना मांगी तो 39 हजार खाते में डाल दिए और एक फर्जी सर्वे फॉर्म भेज दिया, जिसमें आरएनडी नम्बर वही रखे, लेकिन नुकसान का प्रतिशत, खेत का क्षेत्र व कृषि पर्यवेक्षक बदल दिए।
– परसाराम, किसान, डेहरू
मैं डेहरू में सितम्बर 2022 से पोस्टेट हूं, परसाराम के सर्वे फॉर्म पर जो हस्ताक्षर किए हुए हैं, वह मेरे नहीं है।
– शर्मिला करीर, कृषि पर्यवेक्षक, डेहरू कम्पनी की सरासर बेईमानी
खरीफ 2021 में मेरी चार हैक्टेयर में मूंग की पूरी फसल ज्यादा बारिश के कारण खराब हो गई थी। मैंने 72 घंटे के अंदर कंपनी को सूचित किया। कृषि पर्यवेक्षक गोविंदराम व कंपनी सर्वेयर देवेंद्र खिलेरी ने मेरी मौजूदगी में खेत का सर्वे किया और 87 प्रतिशत खराबा फॉर्म में लिखा। मैंने फॉर्म की फोटो भी ली थी। क्लेम देते समय मुझे नहीं दिया। मैंने पत्र लिखे तो कम्पनी के प्रतिनिधि अलग-अलग जवाब देकर टालते रहे। फिर मैंने आरटीआई से सूचना मांगी तो 39 हजार खाते में डाल दिए और एक फर्जी सर्वे फॉर्म भेज दिया, जिसमें आरएनडी नम्बर वही रखे, लेकिन नुकसान का प्रतिशत, खेत का क्षेत्र व कृषि पर्यवेक्षक बदल दिए।
– परसाराम, किसान, डेहरू