गौरतलब है कि राजस्थान सरकार के कार्मिक (क-2) विभाग ने 4 अक्टूबर 2013 को एक परिपत्र जारी किया, जिसके तहत समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, शासन प्रमुख सचिव, शासन सचिव एवं समस्त विभागाध्यक्ष (संभागीय आयुक्त एवं जिला कलक्टर्स सहित) को निर्देश दिए गए कि राज्य स्तरीय समन्वय समिति, जयपुर द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार राजकीय सेवाओं में सीधी भर्ती के लिए प्रवेश के समय नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान नियुक्त होने वाले अभ्यर्थियों से धूम्रपान एवं गुटखा सेवन न करने के सम्बन्ध में वचनबंधता (अंडरटेकिंग) ली जानी है। इसके लिए एक प्रपत्र भी जारी किया गया, जिसमें अभ्यर्थी को यह वचनबंधता देनी होती है कि वह धूम्रपान एवं गुटखा का सेवन नहीं करता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कार्मिक विभाग द्वारा जारी इस परिपत्र को तत्कालीन कुछ भर्तियों में लागू किया गया, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इस नियम पर ध्यान देना बंद कर दिया।
शराब पीने वालों का 50 प्रतिशत वेतन परिजनों में खातें में जमा कराने के थे निर्देश
इसी प्रकार कार्मिक विभाग (क-3/जांच) ने 20 सितम्बर 2013 को एक और परिपत्र जारी किया, जिसमें समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, शासन प्रमुख सचिव, शासन सचिव एवं समस्त विभागाध्यक्ष (संभागीय आयुक्त एवं जिला कलक्टर्स सहित) को निर्देशित किया कि शराब पीने के आदी राजसेवक यदि मादक द्रव्य अधिक उपयोग करते हैं और उनके आचरण के सम्बन्ध में परिजनों से अथवा अन्य किसी विश्वसनीय सूत्र से सूचना मिलती है कि सम्बन्धित राजसेवक शराब, नशीले पदार्थ या ड्रग्स लेने का आदी है, तो उसकी जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर उसके मासिक वेतन का 50 प्रतिशत पारिवारिक दातित्वों के निर्वहन के लिए राजसेवक के परिजन के बैंक खाते में जमा करवाई जाए। लेकिन विभागों क अधिकारी ऐसा कड़ा कदम उठाने से बच रहे हैं।
इसी प्रकार कार्मिक विभाग (क-3/जांच) ने 20 सितम्बर 2013 को एक और परिपत्र जारी किया, जिसमें समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, शासन प्रमुख सचिव, शासन सचिव एवं समस्त विभागाध्यक्ष (संभागीय आयुक्त एवं जिला कलक्टर्स सहित) को निर्देशित किया कि शराब पीने के आदी राजसेवक यदि मादक द्रव्य अधिक उपयोग करते हैं और उनके आचरण के सम्बन्ध में परिजनों से अथवा अन्य किसी विश्वसनीय सूत्र से सूचना मिलती है कि सम्बन्धित राजसेवक शराब, नशीले पदार्थ या ड्रग्स लेने का आदी है, तो उसकी जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर उसके मासिक वेतन का 50 प्रतिशत पारिवारिक दातित्वों के निर्वहन के लिए राजसेवक के परिजन के बैंक खाते में जमा करवाई जाए। लेकिन विभागों क अधिकारी ऐसा कड़ा कदम उठाने से बच रहे हैं।
नागौर में एक युद्ध-नशा विरुद्ध को मिल सकता है बल
जिले में जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे ‘एक युद्ध-नशा विरुद्ध’ अभियान को प्रभावी बनाने एवं धरातल पर सकारात्मक परिणाम लाने में कार्मिक विभाग के दोनों आदेश असरकारी साबित हो सकते हैं। गौरतलब है कि नशे की जद में ज्यादातर युवा पीढ़ी है, सरकार के आदेशों की सख्ती से पालना कराने पर न केवल सरकारी अधिकारी-कर्मचारी पाबंद होंगे, बल्कि सरकारी सेवा के लिए प्रयत्नशील युवा भी नशे से दूर रहेंगे। इससे जिला प्रशासन के अभियान को बल मिल सकता है।
जिले में जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे ‘एक युद्ध-नशा विरुद्ध’ अभियान को प्रभावी बनाने एवं धरातल पर सकारात्मक परिणाम लाने में कार्मिक विभाग के दोनों आदेश असरकारी साबित हो सकते हैं। गौरतलब है कि नशे की जद में ज्यादातर युवा पीढ़ी है, सरकार के आदेशों की सख्ती से पालना कराने पर न केवल सरकारी अधिकारी-कर्मचारी पाबंद होंगे, बल्कि सरकारी सेवा के लिए प्रयत्नशील युवा भी नशे से दूर रहेंगे। इससे जिला प्रशासन के अभियान को बल मिल सकता है।
आदेशों की हो पालना
वर्ष 2013 में मेरे व्यक्तिगत प्रयासों से राज्य स्तरीय समन्वय समिति, जयपुर के समक्ष दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर राज्य सरकार ने दोनों आदेश जारी किए थे, जिनको पूर्ण रूप से लागू करने की आज भी आवश्यकता है। युवाओं को नौकरी में लगने से पहले धूम्रपान एवं गुटखा का सेवन नहीं करने की जो वचनबद्धता देनी होती है, उसकी पालना तत्कालीन कुछ भर्तियों में ही हो पाई। दोनों आदेशों को अक्षरश: लागू किया जाए तो मैं सोचता हूं कि राज्य सरकार के यह प्रयास समाज को एक नई दिशा देने में कारगर साबित होंगे और नशा मुक्त एवं स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।
– डॉ. प्रेम सिंह बुगासरा, एनसीसी ऑफिसर, श्री बीआर मिर्धा राजकीय महाविद्यालय, नागौर
वर्ष 2013 में मेरे व्यक्तिगत प्रयासों से राज्य स्तरीय समन्वय समिति, जयपुर के समक्ष दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर राज्य सरकार ने दोनों आदेश जारी किए थे, जिनको पूर्ण रूप से लागू करने की आज भी आवश्यकता है। युवाओं को नौकरी में लगने से पहले धूम्रपान एवं गुटखा का सेवन नहीं करने की जो वचनबद्धता देनी होती है, उसकी पालना तत्कालीन कुछ भर्तियों में ही हो पाई। दोनों आदेशों को अक्षरश: लागू किया जाए तो मैं सोचता हूं कि राज्य सरकार के यह प्रयास समाज को एक नई दिशा देने में कारगर साबित होंगे और नशा मुक्त एवं स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।
– डॉ. प्रेम सिंह बुगासरा, एनसीसी ऑफिसर, श्री बीआर मिर्धा राजकीय महाविद्यालय, नागौर