जीजा के साथ अवैध संबंध के चलते दुर्गा ने पति सवाई सिंह की हत्या की साजिश रची थी। शादी के एक माह में जीजा सियाराम ने अपने ही नागौर के गांव के मनीष उर्फ महेश के साथ मिलकर हत्या कर शव फेंका, इसके लिए उसने अपने ही किसी अन्य जानकार की गाड़ी का इस्तेमाल किया। इस गाड़ी में सवाई सिंह की शर्ट के दो बटन व पीटीईटी परीक्षा का प्रवेश पत्र मिला। पुलिस के अनुसंधान में जल्द ही स्थिति साफ हो गई और दो चार दिन में ही दुर्गा, सियाराम, महेश उर्फ मनीष समेत चारों को गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि कुछ समय बाद ये चारों जमानत पर छूट गए, दुर्गा के जीजा सियाराम की बाद में मौत हो गई। सवाई सिंह अपने परिवार ही नहीं कुटुम्ब का भी अकेला पुत्र था। सरकारी अध्यापक बनने के लिए नागौर में किराए के मकान पर रहकर वो तैयारी करता था। बाद में दुर्गा व सियाराम की कॉल डिटेल खंगाली गई तो इनके बीच की बातचीत का तमाम राज खुला। अपर लोक अभियोजक घनश्याम मेहरड़ा ने बताया कि तकरीबन साढ़े बारह साल बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या-2 डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ ने आरोपी मनीष उर्फ महेश निवासी लूणसरा व दुर्गादेवी निवासी मातासुख को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व 45 हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। जीजा सियाराम की मौत हो चुकी है, जबकि एक अन्य आरोपी कुलदीप को दोषमुक्त कर दिया।