नागौर

Video : मूंग से मोह भंग, ग्वार से लगाया दिल, बढ़ी एमएसपी भी नहीं लुभा पाई

जिले में ग्वार की लक्ष्य से दुगुनी खेती, जबकि मूंग की लक्ष्य से डेढ़ लाख हैक्टेयर कम हुई बुआई- मूंग के बाजार में कम भाव व बारिश में जल्दी खराब होने के चलते किसानों ने बुआई में दिखाई उदासीनता- गत वर्ष जीरा के स्थान पर सरसों की बम्पर खेती करने के बाद अब खरीफ में ग्वार पर ध्यान

नागौरJul 21, 2022 / 10:39 am

shyam choudhary

Guar cultivation in the Nagaur district doubled from the target

नागौर. केन्द्र सरकार ने इस बार भले ही मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 7750 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है, लेकिन नागौर जिले में किसानों का मूंग से मोह भंग होने लगा है। इस बार समय पर बारिश होने के बावजूद जिले में लक्ष्य की तुलना में मूंग की बुआई का रकबा डेढ़ लाख हैक्टेयर कम रहा है। वहीं दूसरी ओर किसानों ने ग्वार की रिकॉर्ड तोड़ बुआई की है। कृषि विभाग ने इस बार जहां ग्वार की बुआई का लक्ष्य 90 हजार हैक्टेयर रखा, वहां किसानों ने 2.12 लाख हैक्टेयर से अधिक बुआई की है।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x8clcn7

कृषि विभाग के अधिकारियों व विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले वर्षों में फसल पकने के समय होने वाली बेमौसम बारिश से मूंग की फसल में खराबा ज्यादा होता है, जिसके बाद किसान को बाजार में आधे दाम भी नहीं मिल पाते हैं और चारा भी खराब हो जाता है। बाजार में इन दिनों मूंग के भाव 5 हजार प्रति क्विंटल के आसपास हैं। सरकार भी दागी मूंग को नहीं खरीदती। वहीं दूसरी तरफ ग्वार के भावों में इस वर्ष तेजी आई है और ग्वार खराब होने के बाद भी भावों में ज्यादा अंतर नहीं आता है।
30 फीसदी किसानों से खरीदा मूंग
सरकार भले ही एमएसपी बढ़ाकर किसानों की आय दुगुनी करने की बात करती है, लेकिन जब मूंग बारिश में भीगकर दागी हो जाता है तो किसान को खरीद केन्द्र से लौटा दिया जाता है और फिर बाजार में आधे दामों में बेचना पड़ता है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार गत वर्ष जिले में समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने के लिए 21,939 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया और 19,660 किसानों को तारीख भी आवंटित की गई, लेकिन मात्र 6,769 किसानों का मूंग ही खरीदा गया।
कुल उत्पादन का 10 फीसदी भी नहीं खरीदा
खरीफ-2021 में फसलें खराब होने के बावजूद न तो किसानों को कृषि आदान-अनुदान का भुगतान किया गया और न ही दागी मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद हुई। सूत्रों के अनुसार गत वर्ष जिले में मूंग के कुल उत्पादन का 10 फीसदी मूंग भी समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा गया, जिसके कारण किसानों को 7200 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला मूंग 4 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बेचना पड़ा।

यूं समझें मूंग और ग्वार की बुआई का गणित

सरकार केवल घोषणा करती है
इस बार दलहन फसलों की बुआई कम हुई है, इसके दो-तीन कारण हैं। एक तो मूंग खराब होने पर आधे दामों में बिकता है, जबकि ग्वार के भावों में मात्र दो-तीन रुपए का फर्क आता है। इसके साथ इस बार चारा काफी महंगा बिका और ग्वार का चारा अच्छा होता है। तीसरा, सरकार एमएसपी पर मूंग खरीद की बात तो करती है, लेकिन धरातल पर खरीद बहुत कम होती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। ग्वार से खेत उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाती है
– भोजराज सारस्वत, दाल मील संचालक, नागौर
मूंग खराब जल्दी होता है
इस बार हमने जिले में मूंग की बुआई का लक्ष्य 6.40 लाख हैक्टेयर का रखा था, जिसके विरुद्ध अब तक 4.87 लाख हैक्टेयर में बुआई हुई है। इसी प्रकार ग्वार की बुआई 90 हजार हैक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में 2.12 लाख हैक्टेयर में बुआई हुई है। गत वर्षों में फसल पकने के समय हुई बारिश से मूंग काफी खराब हुआ था, इसके चलते किसान अब ग्वार की खेती पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।
– हरीश मेहरा, उप निदेशक, कृषि विभाग, नागौर

Hindi News / Nagaur / Video : मूंग से मोह भंग, ग्वार से लगाया दिल, बढ़ी एमएसपी भी नहीं लुभा पाई

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.