नागौर

एक करोड़ से बना कन्या छात्रावास व इंडोर स्टेडियम को खुलने का इंतजार

– उद्घाटन को 5 साल बीते, लेकिन अभी तक लगे ताले, खिलाड़ियों-छात्राओं को नहीं मिल पा रहा लाभ

नागौरFeb 01, 2024 / 04:50 pm

Ravindra Mishra

मेड़ता सिटी. बंद पड़ा महाविद्यालय के महिला छात्रावास का भवन।

नागौर जिले के मेड़ता सिटी शहर के राजकीय पीजी महाविद्यालय में 5 साल पहले 1 करोड़ रुपए की लागत से बने कन्या छात्रावास एवं इंडोर स्टेडियम उपेक्षा के शिकार हैं। 2019 में विधिवत उद्घाटन के बावजूद ना तो छात्राओं को छात्रावास की सुविधा मिल पा रही और ना ही खिलाड़ी इंडोर स्टेडियम में खेल प्रतिभा दिखा पा रहे। ऐसे में छात्राओं को छात्रावास तो युवा खिलाड़ियों को इंडोर स्टेडियम चालू होने का इंतजार है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से सार्वजनिक निर्माण विभाग के मार्फत मेड़ता के राजकीय पीजी महाविद्यालय में 2019 में इंडोर स्टेडियम के साथ ही कन्या छात्रावास का निर्माण पूरा करवाया गया। लेकिन उद्घाटन के 5 साल बाद भी कन्या छात्रावास व इंडोर स्टेडियम के ताले लगे हैं। जिसकी वजह से महाविद्यालय की छात्राओं को ना तो हॉस्टल में एडमिशन मिल रहा, वहीं खेल प्रतिभाएं भी इंडोर स्टेडियम की सुविधा से वंचित है। उल्लेखनीय है कि कन्या छात्रावास व इंडोर स्टेडियम निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए की लागत आई थी।
2019 में खेल मंत्री ने किया था उद्घाटन

30 जनवरी 2019 को तत्कालीन खेल एवं युवा मामलात मंत्री अशोक चांदना सहित अतिथियों की ओर से फीता काटकर कन्या छात्रावास एवं इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन किया था। दोनों भवनों का शुभारम्भ होने के बाद से आज तक इसकी सुविधा ना तो छात्राओं को नसीब हुई और ना ही खिलाड़ियों को।
छात्रावास हैंडओवर हुआ, लेकिन इंडोर स्टेडियम नहीं

कन्या छात्रावास एवं इंडोर स्टेडियम, दोनों बनकर तैयार है। जबकि महाविद्यालय प्रशासन काे कन्या छात्रावास हैंडओवर कर दिया गया लेकिन इंडोर स्टेडियम अभी तक नहीं किया गया। मंत्री के हाथों से लोकार्पण करवा दिए जाने के बावजूद विद्यार्थियों को फायदा नहीं मिलने के कारण छात्रों में नाराजगी हैं। वहीं विभिन्न छात्र संगठन छात्रावास शुरू करवाने की मांग कर चुके हैं।
हॉस्टल खुले तो मिले सुविधा

अब छात्राओं ने इसी सत्र 2024 में छात्रावास भवन हैंडओवर लेते हुए इसका संचालन शुरू किए जाने की मांग की है। ताकि गांव-ढाणी से आने वाली छात्राओं को परेशानी से निजात मिल सके। दरअसल, छात्रावास की सुविधा नहीं मिलने के कारण छात्राओं को गांव से बस में रोजाना आना-जाना पड़ता है। बड़ी रकम देकर शहर में किराये के मकान में रहने को मजबूर है। जिससे पढ़ाई बाधित हो रही है। राज्य सरकार एक ओर बालिका शिक्षा पर जोर दे रही है, वही महाविद्यालय की ये अनदेखी छात्राओं को भारी पड़ रही हैं।
सुमचित स्टाफ व सुविधाओं की जरूरत

छात्रावास के लिए महिला वार्डन, दो पुरुष गार्ड, कुक सहित समुचित स्टाफ व चारदीवारी सहित सभी तरह की सुविधाएं होना जरूरी है। हम कॉलेज लेवल पर इसको चला नहीं सकते। वहीं इंडोर स्टेडियम पीडब्ल्यूडी की ओर से अभी हैंडओवर नहीं किया गया। इस वजह से दिक्कत आ रही है।
– डॉ. राजकुमार सामंत, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय

भवनों को शुरू करें
“इस संबंध में महाविद्यालय प्रशासन से हम कई बार मिले। उनका एक ही रटा रटाया जवाब है कि कॉलेज आयुक्तालय जयपुर से हमारे इंजीनियर आएंगे, भौतिक सत्यापन करेंगे। फिर हम इसको हैंडओवर लेंगे। 5 साल से महाविद्यालय प्रशासन की गौर लापरवाही के कारण आज तक भवन बंद हैं। भवनों का संचालन समय रहते किया जाए अन्यथा महाविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।’
– सुरेन्द्र बापेड़िया, अध्यक्ष, युवा कांग्रेस विधानसभा मेड़ता

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