लाखों खर्च फिर भी नाकारा
नगर परिषद के अग्निशमन बेड़े में अलग-अलग कंपनियों की छोटी-बड़ी चार दमकल है लेकिन जरुरत पडऩे पर इन दमकलों के भरोसे किसी को नुकसान से नहीं बचाया जा सकता। शहर की छोटी गलियों व बाजार में बड़ी गाडिय़ों के नहीं पहुंचने के कारण छोटी गाड़ी भी खरीदी थी, लेकिन रख-रखाव के अभाव में खराब हो चुकी गाड़ी का उपयोग नहीं हो रहा है। 2012 मॉडल की छोटी दमकल (ईए0697)तीन साल से खराब (कंडम) है। फायर ब्रिगेड बेड़े की सबसे पुरानी 2002 मॉडल की दमकल गाड़ी (ईए 0134) के इंजन पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद यह खटारा है।
बाहर से मंगवानी पड़ती गाड़ी
जानकारी के अनुसार 2012 मॉडल की दमकल (ईए0868) खराब होने के बाद नगर परिषद के पास 2003 मॉडल के वाहन (ई0012) के भरोसे ही काम चल रहा है। नागौर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल काफी बड़ा होने के कारण करीब सौ किलोमीटर के दायरे में इसी एक दमकल को भेजना पड़ता है। आलम यह है कि जिला मुख्यालय पर वीआईपी मूवमेंट के दौरान जिम्मेदार कुचेरा, मूण्डवा व मेड़ता से गाडिय़ां मंगवाते हैं। अग्निशमन बेड़े में पर्याप्त गाडिय़ां नहीं होने के कारण कर्मचारी चाहकर भी आग लगने पर कुछ नहीं कर सकते। एक साथ दो स्थानों पर आग लग जाए तो नगर परिषद की दमकल वहां नहीं पहुंच पाती।
ठीक करवाएंगे गाडिय़ां
गाडिय़ां चालू स्थिति में नहीं है तो उनको ठीक करवाएंगे व कंडम हो चुकी छोटी गाड़ी के स्थान पर दूसरी गाड़ी मंगवाएंगे ताकि शहर की संकड़ी गलियों में आसनी से पहुंचा जा सके।
जोधाराम विश्नोई, आयुक्त नगर परिषद नागौर