चार साल से खराब छोटी गाड़ी
आलम यह है कि शहर के भीतरी भाग में आग लग जाए तो वहां तक दमकल का पहुंच पाना मुश्किल होता है। हालांकि बाजार व संकरी गलियों में पहुंच आसान बनाने के लिए नगर परिषद ने एक छोटी गाड़ी खरीदी थी, लेकिन यह गाड़ी पिछले चार साल से धूल फांक रही है। इस गाड़ी की मरम्मत पर खर्च होने वाली राशि में नई गाड़ी खरीदी जा सकती है, ऐसे में इसकी मरम्मत कराने से परहेज किया जा रहा है। पुरानी हो चुकी गाडिय़ां दिन खराब हो जाती है। गत दिनों मानासर चौराहा पर एटीएम में लगी आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मियों को गैराज से गाड़ी लानी पड़ी थी।
क्या है वाहन देने का नियम
भारत सरकार की स्टेडिंग फायर एडवायजरी कमेटी की ओर से निर्धारित मानदंडानुसार 50 हजार से 3 लाख की आबादी तक एक अग्निशमन वाहन जरुरी है। इसके बाद तीन लाख से अधिक प्रत्येक एक लाख की आबादी पर एक वाहन होना आवश्यक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नागौर की जनसंख्या 1 लाख 05 हजार 218 है, ऐसे में नियमानुसार यहां एक वाहन पर्याप्त है। नगर परिषद के निकटवर्ती ग्राम पंचायत बासनी की जनसंख्या 50 हजार से बाहर है। लेकिन ग्राम पंचायतों में दमकल का प्रावधान नहीं होने से ऐसी पंचायतों में नगर परिषद की दमकल ही काम में ली जाती है, लेकिन वाहन क्रय का आधार केवल नागौर शहर को माना जाता है।
मेरी जानकारी में नहीं
दमकल की गाडिय़ां ज्यादा पुरानी होने की बात मेरे ध्यान में नहीं है। वास्तव में गाडिय़ां उपयोग योग्य नहीं है, तो नई गाड़ी लाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
डॉ. अमित यादव, आयुक्त, नगर परिषद, नागौर