दो लाख से अधिक दे दिए फिर…
कुछ समय पहले सरकारी नौकरी से रिटायर नागौर के एक बुजुर्ग भी मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचे। बिना रिपोर्ट दर्ज कराए एक अधिकारी को इन्होंने बताया कि एक महिला से सम्पर्क हुआ, एक-दो बार मुलाकात भी हुई। अब वो डरा-धमका रही है, अब तक दो लाख से अधिक रुपए ले चुकी है। अब बलात्कार के मामले में फंसाने की धमकी दे रही है। इस पर ऊपरी स्तर पर जैसे-तैसे मामला रफा-दफा हुआ।
मोटी कमाई का जरिया बनाया
साइबर समेत अन्य थाने तक ये मामले पहुंच रहे हैं । कुछ पीडि़त सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों से ही बात कर अपनी पीड़ा बता रहे हैं। कुछ युवती/महिला समेत अन्य बदमाशों ने इस तरह के गिरोह बना लिए हैं जो नागौर में हनी ट्रेप अथवा अन्य मामले में फंसाने के चलते मोटी कमाई कर रहे हैं। बदनामी के डर से कोई भी छोटी-मोटी रकम तो तुरंत ही दे रहा है, मामला बढऩे पर पुलिस के पास जाते भी हैं पर स्वयं की बदनामी के डर से मामला दर्ज कराने से बचते हैं।
कुछ समय पहले सरकारी नौकरी से रिटायर नागौर के एक बुजुर्ग भी मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचे। बिना रिपोर्ट दर्ज कराए एक अधिकारी को इन्होंने बताया कि एक महिला से सम्पर्क हुआ, एक-दो बार मुलाकात भी हुई। अब वो डरा-धमका रही है, अब तक दो लाख से अधिक रुपए ले चुकी है। अब बलात्कार के मामले में फंसाने की धमकी दे रही है। इस पर ऊपरी स्तर पर जैसे-तैसे मामला रफा-दफा हुआ।
मोटी कमाई का जरिया बनाया
साइबर समेत अन्य थाने तक ये मामले पहुंच रहे हैं । कुछ पीडि़त सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों से ही बात कर अपनी पीड़ा बता रहे हैं। कुछ युवती/महिला समेत अन्य बदमाशों ने इस तरह के गिरोह बना लिए हैं जो नागौर में हनी ट्रेप अथवा अन्य मामले में फंसाने के चलते मोटी कमाई कर रहे हैं। बदनामी के डर से कोई भी छोटी-मोटी रकम तो तुरंत ही दे रहा है, मामला बढऩे पर पुलिस के पास जाते भी हैं पर स्वयं की बदनामी के डर से मामला दर्ज कराने से बचते हैं।
बात यहीं खत्म नहीं होती, अलाय में एक छात्रा के साथ उसी स्कूल के अध्यापक के अश्लील वीडियो वायरल हुए। अध्यापक की एप्रोच के चलते मामला रफा-दफा हो गया, इसके बावजूद कई बदमाशों ने इन फोटो के जरिए ही उगाही कर डाली। पुलिस खुद मानती है कि किसी प्रेम प्रसंग के अश्लील फोटो/वीडियो वायरल होते ही ऐसे लोगों को कमाई का मौका मिल जाता है। कई लोग बदनामी के डर से इनके हत्थे चढ़ जाते हैं।
सूत्रों का कहना है कि नागौर जिले में अभी तक आधा दर्जन पीडि़तों ने ही थाने में एफआईआर दर्ज कराई जबकि शिकायत देकर राहत पाने वालों की संख्या काफी है। झूठे झांसे में पहले तो लोग फंस जाते हैं फिर जब डरा-धमका कर वसूली शुरू होती है तब पुलिस के पास पहुंचते हैं । इसमें भी बदनामी के डर से रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते।