नागौर

अव्यवस्थित तारों व ट्रांसफार्मर ने बढ़ाई मुश्किल

Nagaur.रीको इंडस्ट्रियल एरिया में डिस्कॉम की बेपरवाही से बिगड़ी हालत-हर बरसात में सडक़ों पर दौडऩे लगता है करंट-कही खुले में ट्रांसफार्मर रख दिये तो कही जोड़ लगे कंडम स्तर के तारों का बिछा रखा है जालइंडस्ट्रियल एरिया से लाखों की बिजली उपभोग की राशि मिलने के बाद भी सुविधाओ के नाम पर डिस्कॉम धेला भी नही खर्च कर रहा, नतीजतन परेशानी बढ़ी

नागौरJul 29, 2021 / 09:52 pm

Sharad Shukla

Discom’s indifference worsened condition in Nagaur.RIICO Industrial Area

नागौर. जिला मुख्यालय के बीकानेर रोड स्थित रीको एरिया में बरसात की बूंदों के गिरने के साथ ही यहां की सडक़ों पर करंट दौडऩे लगता है। नंगे तारों के नीचे तक गिरते-लटकते तारों के साथ असुरक्षित-अव्यवस्थित हालात में रखे गए ट्रांसफार्मर अब खतरा बन गए हैं। यही नहीं, सघन हुए पेड़ों के बीच लटके तार बारिश के साथ ही जमीन पर फैलते करंट का कारक बनने लगे हैं। इसकी वजह से यहां के उद्यमियों में भी अब अनहोनी की आशंका की वजह से डर नजर आने लगा है।रीको एरिया में दालों की फैक्ट्रियों के बीच बरसात के दौरान दौड़ते करंट यहां पर लगे कामगारों के लिए खतरा बनने लगे हैं। पूरे एरिया में बिजली के तारों के जाल पेड़ों के अंदर से होते हुए फैले हुए हैं। इनकी देखभाल नहीं होने की वजह से यह कई जगहों पर लटके हुए नजर आने लगे हैं। पेड़ों से होकर गुजरने की वजह से बारिश के दौरान पानी का साथ मिलते ही कई बार यह करंट सडक़ों पर उतर जाता है। यही नहीं, यहां अवैज्ञानिक तरीके से लगे ट्रांसफार्मर के नजदीक से गुजरने पर अक्सर कई पशु असमय हादसे का शिकार होकर अपनी जान गवां बैठते हैं। ऐसे हादसों की संख्या भी उद्यमियों क अनुसार एक दर्जन का आंकड़ा पार कर गई है।
धर्म का आधार शब्द नहीं, आचरण
ानागौर. जैन श्वेतांबर तपागच्छ श्री संघ के बोहरावाड़ी स्थित उपाश्रय में प्रवचन करते हुए साध्वी सौम्यप्रभा ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा को परम धर्म कहा है। धर्म का महल अहिंसा की नींव पर टिका हुआ है। धर्म का आधार शब्द नहीं आचरण है। मन, वचन और काया तीनों से अहिंसा का पालन किया जा सकता है। मन में शुभ चिंतन वचनों में कोमलता काया में स्थिरता हो तो धर्म आत्मा का स्वभाव बन जाएगा। जीवन मंगल के आधार पर टिका हुआ है। जीवन के सांसारिक-पारिवारिक धार्मिक प्रत्येक कार्य में मंगल से जुड़े हुए हैं। तीर्थंकरों और गुरुजनों का नाम मंगल है। मछली दर्पण स्वस्तिका आदि आकृतियां स्थापना, दही गुड़ आदि द्रव्य मंगल है। संयम, तप ब्रम्हचर्य और दान भाव मंगल है। चातुर्मास काल में भाव मंगल की आराधना करनी चाहिए। तप से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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