नागौर

एक बार खाए तो कभी ना भूल पाए मूण्डवा का चिट़ठापाक

Nagaur Exclusive News दूध (Milk) से बनने वाली यह मिठाई (Sweet ) दिखने में हलवे से मिलती जुलती.

नागौरNov 08, 2020 / 05:37 pm

Rudresh Sharma

एक बार खाए तो कभी ना भूल पाए मूण्डवा का चिट़ठापाक

हनुमान ईनाणि‍या @ मूंडवा. हर गांव शहर की अपनी विशिष्ठ पहचान होती है, लेकिन मारवाड़ अंचल (Marwad) के मूण्डवा (Mundwa) की बात हो तो मीठे पानी का तालाब लाखोलाव और मिठाइयों (Sweets) में चिटठापाक कोई नहीं भूल सकता। मूण्डवा की यह मिठाई खास है। दूध (Milk) से बनने वाली यह मिठाई दिखने में हलवे से मिलती जुलती लगती है, लेकिन इसका जायका एक बार चख ले तो कभी भूल नहीं सकता। दूध की इस मिठाई में बनाते समय चासनी डलती है पर बनने के बाद केवल मावा ही रह जाता है।
दूध को अधिक घोटने के कारण मावा चिठा हो जाता है। खाते समय इस मिठाई को काफी चबाना पड़ता है तब जाकर यह टूट पाती है इसी के चलते इसका नाम चिठापाक हुआ। यह मिठाई इतनी प्रसिद्ध है कि अपने परिचितों को खास मौकों पर भेजी जाती है। प्रवासी मारवाडिय़ों (Marwadi Community) की यह सबसे पसंदीदा मिठाई है।
मूण्डवा की इस मिठाई का इजाद करीब पांच-छह दशक पहले दो भाईयों तुलसीराम व चतुर्भुज सिखवाल ने किया। वर्तमान में उनकी चौथी पीढ़ी मिठाई के व्यावसाय से जुड़ी है। इन सिखवाल ब्राह्मणों की पहचान अब शहर में कन्दोई के नाम से ही होती है। वर्तमान में मूण्डवा में इस परिवार के अलावा कुछ अन्य हलवाई भी यह मिठाई बनाते हैं। शहर में करीब छोटी बड़ी एक दर्जन दुकानों में यह मिठाई उपलब्ध है। इस मिठाई को बनाने में दूध का ही मुख्य रूप से उपयोग होता है। इसके अलावा चासनी व कुछ तय मात्रा में शुद्ध घी भी डाला जाता है। इस मिठाई को बनाने में मेहनत भी अधिक होती है। लेकिन इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। कई बार विशेष अवसरों पर पहले आर्डर देने पड़ते हैं।

रेसीपी (Recipi)
ताजे दूध को रड़ाकर लगातार घोटा जाता है। घोटते समय कुछ चासनी डाली जाती है। धीमी आंच पर करीब पौने घंटे तक घोटने पर दूध का मावा तैयार होता है। अंतिम रूप से तैयार चि_ापाक का रंग चॉकलेटी हो जाता है। इस दौरान शेष चासनी व घी डालकर फिर से घोटा जाता है। दूध की गुणवत्ता अच्छी हो तो चार किलो दूध में सवा किलो से डेढ़ किलो तक चि_ापाक तैयार हो जाता है। जिसमें करीब आधा किलो चासनी व दो सौ ग्राम घी भी डाला जाता है। पकने के बाद चासनी की तरलता नहीं रहती। यह मावा बनने के बाद एक पखवाड़े तक खराब नहीं होता।

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