डीएनए रिपोर्ट लम्बित होने के मुख्य कारण – प्रदेश में बलात्कार व पोक्सों के प्रकरणों की अत्यधिक आवक, प्रतिमाह औसतन 700 प्रकरण की प्राप्ति।
– आवक अनुसार स्वीकृत पदों की कमी। वर्तमान आवक तथा लम्बित प्ररकणों की संख्या को देखते हुए प्रदेश में कुल 20 परीक्षण यूनिट की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में केवल 2 यूनिट स्वीकृत है।
प्रदेश में सात एफएसएल, तीन क्रियाशील विधायक संदीप शर्मा की ओर से लगाए गए सवाल के जवाब में सरकार के गृह विभाग ने बताया कि प्रदेश में कुल 7 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं संचालित हैं, जो जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर एवं भरतपुर में स्थापित है। उक्त में से जयपुर, जोधपुर एवं अजमेर में डीएनए जांच प्रयोगशाला ही क्रियाशील है।
प्रदेश में एक वर्ष से अधिक समय से लम्बित मामले एक जुलाई 2024 की स्थिति अनुसार एक वर्ष से अधिक समय से कुल 15,584 डीएनए जांचों के प्रकरण लंबित हैं। जिनकी वर्षवार स्थिति इस प्रकार है –
वर्ष – प्रकरण
2020 – 1201
2021 – 3206
2022 – 4988
2023 – 6189
पांच साल में 40 करोड़ से अधिक खर्च राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित फोरेंसिक साइंस प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण के लिए पिछले 5 वर्षों में करीब 40 करोड़ रुपए का बजट खर्च किया है। लम्बित डीएनए जांच समयबद्ध रूप से उपलब्ध कराने के लिए 50 वैज्ञानिक संविदाकर्मी नियोजित किए गए हैं। गत दो वर्ष में जयपुर के अतिरिक्त विस्तार करते हुए जोधपुर व अजमेर क्षेत्रिय प्रयोगशाला में डीएनए खण्ड प्रारम्भ किया गया है। केन्द्र सरकार की निर्भया योजना तथा राज्य सरकार से प्राप्त राशि से अतिआधुनिक उप प्रकरणों का समावेश कर गत पांच वर्ष में डीएनए प्रकरणों की निष्पादन संख्या 777 प्रकरण से बढाकर वर्ष 2023 में 4334 (6 गुना वृद्धि) हो गया है। साथ ही डीएनए परीक्षण के लिए स्वीकृत 2 यूनिट की भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की है।
जानिए, यौन उत्पीडऩ की फोरेंसिक जांच कराने से क्या लाभ डीएनए जांच के बाद अपराधी की पहचान की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ अपराधियों को दोषी ठहराने की संभावना बढ़ जाती है। यदि राज्य किसी अपराधी के खिलाफ आरोप लगाता है, तो डीएनए सबूत अदालत में वजनदार साबित होते हैं। यौन हिंसा के कई मामले प्रत्यक्ष खातों और अन्य सबूतों पर निर्भर करते हैं जो व्याख्या के लिए जगह छोड़ते हैं। डीएनए सबूत अपराधी के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाने में मदद करते हैं।
डीएनए क्या है? डीएनए कोशिकाओं में पाया जाने वाला पदार्थ है जो आंख, बाल और त्वचा के रंग जैसी विशेषताओं को निर्धारित करता है। हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है, सिवाय समान जुड़वा बच्चों के। इसका मतलब है कि डीएनए का इस्तेमाल अपराधी की सटीक पहचान करने के लिए किया जा सकता है। ठीक उसी तरह जैसे हम फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल करते हैं। डीएनए सबूत रक्त, लार, पसीने, मूत्र, त्वचा के ऊतकों और वीर्य से एकत्र किए जा सकते हैं।
समय पर रिपोर्ट मिले तो बेहतर सामान्यत: बलात्कार और पोक्सो के मामलों में पुलिस जांच करके चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी जाती है, लेकिन कुछ संदिग्ध मामलों में डीएनए रिपोर्ट की आवश्यकता रहती है। यदि डीएनए रिपोर्ट समय पर मिल जाए तो पुलिस जांच में बेहतर रहती है। डीएनए रिपोर्ट का ज्यादा असर कोर्ट में ट्रायल के दौरान पड़ता है।
– नूर मोहम्मद, एएसपी, स्पेशल इन्वेस्टिगेशन, क्राइम अगेंस्ट वूमेन, नागौर