गौरतलब है कि नागौर लिफ्ट कैनाल परियोजना के कार्य में हो रही देरी एवं जिले में फ्लोराइड की समस्या को देखते हुए जलदाय विभाग ने करीब सात साल पहले नागौर की विभिन्न पंचायत समितियों में करोड़ों रुपए खर्च कर आरओ प्लांट स्थापित लगवाने शुरू किए। ताकि ग्रामीण फ्लोराइड मुक्त मीठा पानी पी सकें। योजना के प्रथम चरण में जिले में 140 आरओ प्लांट स्थापित किए गए। जिसके लिए सरकार ने 28 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था, जिसके तहत नागौर उपखंड सहित, लाडनूं, डीडवाना, कुचामन, मकराना, खींवसर, जायल, मेड़ता, डेगाना, रियां के चयनित गावों में 140 प्लांट लगाए गए। यानी प्रति प्लांट 20 लाख रुपए का बजट दिया गया। इसके बाद वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने जिले के 92 गांवों में आरओ प्लांट लगाने के लिए और बजट जारी किया, जिसके बाद जिले में 232 आरओ प्लांट स्थापित हो गए। इसी प्रकार तृतीय व चतुर्थ चरण में 200 से अधिक प्लांट लगाने के कार्यादेश दिए गए, लेकिन एक कम्पनी ने काम पूरा नहीं किया। सूत्रों के अनुसार जिले में कुल 467 प्लांट स्थापित किए गए।
आंधी में उड़ा 20 लाख का प्लांट, अधिकारी अनजान
जिले में लगाए गए आरओ प्लांट से ग्रामीणों को मीठा पानी भले ही नहीं मिला, लेकिन जनता के लाखों रुपए बर्बाद कर दिए गए। अधिकारी ने कमिशन के चक्कर में उन स्थानों पर भी आरओ लगवा दिए, जहां नहरी पानी पहुंच चुका था। ऐसा ही एक मामला नागौर पंचायत समिति के पाडाण गांव में सामने आया है। पाडाण में जहां आरओ प्लांट लगाया गया है, उससे 100 मीटर नहरी परियोजना की वीटीसी है। यहां प्लांट लगाने से पहले नहरी पानी पहुंच गया था। गौर करने वाले बात यह है कि गत 5 जून को आए अंधड़ से पाडाण का पूरा प्लांट ही उड़ गया, जिसका मलबा अलाय कार्यालय में रखा गया है, बिजली का सामान चोर चुरा कर ले गए और ट्यूबवैल में किसी ने रेत और पत्थर भरकर बेकार कर दिया। इसी प्रकार धुंधवालों की ढाणी व खेराट के आरओ प्लांट भी लम्बे समय से बंद पड़े हैं, जबकि जलदाय विभाग के एसई का कहना है कि पूरे जिले में प्लांट को छोडकऱ सभी चालू हैं।
जिले में लगाए गए आरओ प्लांट से ग्रामीणों को मीठा पानी भले ही नहीं मिला, लेकिन जनता के लाखों रुपए बर्बाद कर दिए गए। अधिकारी ने कमिशन के चक्कर में उन स्थानों पर भी आरओ लगवा दिए, जहां नहरी पानी पहुंच चुका था। ऐसा ही एक मामला नागौर पंचायत समिति के पाडाण गांव में सामने आया है। पाडाण में जहां आरओ प्लांट लगाया गया है, उससे 100 मीटर नहरी परियोजना की वीटीसी है। यहां प्लांट लगाने से पहले नहरी पानी पहुंच गया था। गौर करने वाले बात यह है कि गत 5 जून को आए अंधड़ से पाडाण का पूरा प्लांट ही उड़ गया, जिसका मलबा अलाय कार्यालय में रखा गया है, बिजली का सामान चोर चुरा कर ले गए और ट्यूबवैल में किसी ने रेत और पत्थर भरकर बेकार कर दिया। इसी प्रकार धुंधवालों की ढाणी व खेराट के आरओ प्लांट भी लम्बे समय से बंद पड़े हैं, जबकि जलदाय विभाग के एसई का कहना है कि पूरे जिले में प्लांट को छोडकऱ सभी चालू हैं।
ग्रामीणों ने कार्ड ही नहीं बनवाए
सरकार की इस योजना के तहत आरओ प्लांट संचालन के लिए ठेकेदार कम्पनी द्वारा उपभोक्ताओं के एटीएम कार्ड बनाए जाने थे, जिसके तहत एक लीटर के बदले उपभोक्ता को प्रथम चरण में लगे प्लांट का 10 पैसे व द्वितीय चरण में लगे प्लांट के पानी के लिए 20 पैसे चार्ज देना था। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि ग्रामीणों ने आरओ का पानी लेने के लिए एटीएम कार्ड ही नहीं बनाए। जिसके चलते कई गांवों में प्लांट लगा तो दिए, लेकिन चालू नहीं हो सके।
सरकार की इस योजना के तहत आरओ प्लांट संचालन के लिए ठेकेदार कम्पनी द्वारा उपभोक्ताओं के एटीएम कार्ड बनाए जाने थे, जिसके तहत एक लीटर के बदले उपभोक्ता को प्रथम चरण में लगे प्लांट का 10 पैसे व द्वितीय चरण में लगे प्लांट के पानी के लिए 20 पैसे चार्ज देना था। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि ग्रामीणों ने आरओ का पानी लेने के लिए एटीएम कार्ड ही नहीं बनाए। जिसके चलते कई गांवों में प्लांट लगा तो दिए, लेकिन चालू नहीं हो सके।
कोस्ट इतनी रखी कि शेष राशि लेने की जरूरत नहीं पड़ी
जानकारी के मुताबिक प्लांट लगाने वाली कम्पनी को 7 साल तक आरओ प्लांट की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। विभाग की शर्तों के अनुसार कम्पनी को 65 फीसदी भुगतान प्लांट का काम पूरा करने पर तथा शेष भुगतान आरओ प्लांट की उचित देखभाल करने तथा उपभोक्ताओं को पानी उपलब्ध कराने पर किश्तों में करने का प्रावधान रखा गया। साथ ही कम्पनी को 7 सालों में प्लांट पर होने वाला खर्च व बिजली का खर्च वहन करना था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बड़े स्तर पर खेले गए खेल में आरओ प्लांट की कोस्ट (लागत) इतनी अधिक रखी कि कम्पनी को शेष 35 प्रतिशत राशि लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी और उसने प्लांट्स देखभाल करना उचित नहीं समझा।
जानकारी के मुताबिक प्लांट लगाने वाली कम्पनी को 7 साल तक आरओ प्लांट की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। विभाग की शर्तों के अनुसार कम्पनी को 65 फीसदी भुगतान प्लांट का काम पूरा करने पर तथा शेष भुगतान आरओ प्लांट की उचित देखभाल करने तथा उपभोक्ताओं को पानी उपलब्ध कराने पर किश्तों में करने का प्रावधान रखा गया। साथ ही कम्पनी को 7 सालों में प्लांट पर होने वाला खर्च व बिजली का खर्च वहन करना था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बड़े स्तर पर खेले गए खेल में आरओ प्लांट की कोस्ट (लागत) इतनी अधिक रखी कि कम्पनी को शेष 35 प्रतिशत राशि लेने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी और उसने प्लांट्स देखभाल करना उचित नहीं समझा।
एक प्लांट खराब, बाकी सब ठीक
जिले में 450 से अधिक आरओ प्लांट लगे हुए हैं, उनमें से एक खराब है, बाकी सब चल रहे हैं। इसके अलावा एक फॉन्टस कम्पनी को हमने 62 आरओ प्लांट लगाने काम दिया था, लेकिन उसने काम पूरा नहीं किया और जो प्लांट लगाए, उनकी भी देखभाल नहीं की, जिस पर उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसकी राशि जब्त कर जुर्माना भी लगाया और डी-मार्क कर दिए। शेष रहे प्लांट को बनाने के लिए दूसरी कम्पनी को काम देने की प्रक्रिया चल रही है।
– जगदीशप्रसाद व्यास, जदलदाय विभाग, नागौर
जिले में 450 से अधिक आरओ प्लांट लगे हुए हैं, उनमें से एक खराब है, बाकी सब चल रहे हैं। इसके अलावा एक फॉन्टस कम्पनी को हमने 62 आरओ प्लांट लगाने काम दिया था, लेकिन उसने काम पूरा नहीं किया और जो प्लांट लगाए, उनकी भी देखभाल नहीं की, जिस पर उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसकी राशि जब्त कर जुर्माना भी लगाया और डी-मार्क कर दिए। शेष रहे प्लांट को बनाने के लिए दूसरी कम्पनी को काम देने की प्रक्रिया चल रही है।
– जगदीशप्रसाद व्यास, जदलदाय विभाग, नागौर
हमें बताएं – आपके गांव में भी यदि कोई आरओ प्लांट बंद है तो हमें फोटो भिजवाएं – वाट्सएप नम्बर – 9413661057