सूत्रों के अनुसार कम्प्यूटर शिक्षा को लेकर सरकार की तमाम कोशिश रंग नहीं दिखा पा रही है। सभी उच्च माध्यमिक स्कूलों में कम्प्यूटर लैब लगाने की कवायद पंद्रह बरस बाद भी अधूरी है। संस्था प्रधान की उदासीनता के साथ आगे की औपचारिकता में अनावश्यक देरी भी इसका कारण है। नागौर के करीब एक हजार स्कूलों में लैब लगाने का सपना सच होते नहीं दिख रहा। वो इसलिए भी कि पुरानी लैब कण्डम हो गई, अब उनकी फिर से शुरुआत करनी होगी। समग्र शिक्षा नागौर की ओर से समय-समय पर इसके लिए कोशिश भी की गई पर यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो पाई।
असल में कम्प्यूटर लैब लगाने को लेकर तैयारियां हुई तो कभी स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत विधायक की ओर से सहयोग मिलने में देरी हुई। कहीं भामाशाह समय पर नहीं मिल पाया। इसके पीछे भी राजनीतिक कारण बताए गए। ऐसे में पिछले पंद्रह साल में 670 स्कूलों में ही लैब लग सकी हैं यानी हर साल 45 लैब।
216 लैब हो चुकी कण्डम सूत्रों के अनुसार पहले और दूसरे चरण की 216 लैब कण्डम हो चुकी हैं, इनमें 44 को नीलाम कर नई स्थापित की जा चुकी हैं पर शेष 172 की लैब पहले नीलाम होंगी फिर नई स्थापित की जाएगी। यूं तो पूरे जिले में करीब नौ सौ स्कूल में कम्प्यूटर लैब होनी चाहिए पर इनमें आधे में भी कार्यरत नहीं हैं।
प्रस्ताव पर एक नजर सूत्रों के अनुसार करीब सवा दो सौ स्कूलों को कम्प्यूटर लैब से जोड़ने का प्रस्ताव राशि सहित करीब सालभर पहले जयपुर भेजा गया था। इनमें से कुछ लैब लग चुकी हैं। इनमें 130 में भामाशाह तो 90 में स्थानीय विधायकों ने 25 फीसदी राशि का सहयोग दिया है। यानी करीब तीन लाख रुपए में से 75 हजार की राशि का अंशदान सांसद/विधायक/भामाशाह की ओर से किया जाता है। शेष राशि राज्य सरकार वहन करती है।
इनका कहना जिले के 176 स्कूलों में कम्प्यूटर लैब स्थापित नहीं हो पाए हैं, भामाशाह/विधायकों से सहयोग लेकर लैब स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। कण्डम हो चुकी लैब की नीलामी हो रही है, जल्द ही इन्हें भी लगाया जाएगा।
नरेंद्र गौरा, कार्यक्रम अधिकारी समग्र शिक्षा नागौर