सूत्रों के अनुसार एसीबी को दी गई शिकायत में कहा गया है कि इस स्कूल में जो सामान लगाया गया वह बहुत ही घटिया और काम चलाऊ कम्पनी का है। एक सीपीयू, नौ एलसीडी समेत कुछ छोटा-मोटा सामान लगाया गया वो मेड इन चाइना का सस्ता माल है। इसके एक साल के भीतर खराब होने की संभावना है। इसकी शिकायत सांसद हनुमान बेनीवाल, कलक्टर पीयूष समारिया व सीडीइओ मुंशी खां तक को की गई। यही नहीं विद्यालय की लैब में आपूर्ति किए गए सामान का पक्का बिल, टेण्डर की प्रमाणित प्रति, परिषद एवं फर्म के बीच हुए अनुबंध की प्रमाणित प्रति तक विद्यालय को उपलब्ध तक नहीं करवाई गई। जबकि नियमानुसार संबंधित विद्यालय में इसे उपलब्ध कराना अनिवार्य है। शिकायत में कहा गया है कि यह एक ही स्कूल का नहीं प्रदेश में नए टेण्डर के बाद लगे स्कूलों की लैब की जांच हो तो उपकरण/फर्नीचर सहित कुल लागत एक लाख से कम ही निकलेगी , जबकि तीन लाख तीन हजार रुपए इसके पेटे जमा होते हैं। पत्र में कहा गया कि प्रदेश के 1071 में नागौर जिले के 210 स्कूल शामिल हैं। उपकरणों की गुणवत्ता को लेकर प्रदेशभर में सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में सांसद/कलक्टर ही नहीं मुख्य शिक्षा अधिकारी तक को लिखित शिकायत भेजी गई है। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से एक तरफ हर जिले में एडीपीसी, समसा को जिले में पांच लैब की जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा था। साथ ही जिले में स्थापित सभी लैब के संबंधित स्कूल के संस्था प्रधान से लैब के सफलतापूर्वक स्थापना का प्रमाण-पत्र जल्द से जल्द भिजवाने को कहा था। प्रदेशभर में यदि इस तरह लैब में घटिया सामग्री के पीछे किसी तरक की गड़बड़ी की आशंका है तो तकनीकी व लेखा विशेषज्ञ से जांच करवाई जाए। नियमों की अवहेलना करते हुए टेण्डर दिया गया हो तो संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
इनका कहना हाल ही में इस तरह की शिकायत मिली है, जिसे मुख्यालय भिजवा दिया गया है। वहां से प्राप्त निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। -सुशीला विश्नोई, सीआई एसीबी, नागौर।