नागौर

उपचुनाव : एक बार फिर खींवसर विधानसभा होगी हॉट सीट, मचेगा घमासान

पिछले 16 साल से खींवसर सीट पर है बेनीवाल परिवार का कब्जा, इस बार भाजपा हराने के लिए लगा रही पूरा दम

नागौरOct 16, 2024 / 11:58 am

shyam choudhary

नागौर. प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा आखिरकार मंगलवार को जारी हो गई। खींवसर सहित अन्य सीटों पर आगामी 13 नवम्बर को मतदान होगा। खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल के नागौर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद रिक्त हुई थी।
खींवसर सीट पर पिछले 16 सालों में हुए पांच चुनावों में से चार में खुद हनुमान बेनीवाल ने जीत दर्ज की तथा एक में उनके भाई नारायण बेनीवाल जीते। ऐसे में खींवसर सहित प्रदेश की नजरें खींवसर विधानसभा सीट पर है। प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने इस बार खींवसर में बेनीवाल को हराने के लिए लोकसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी, वहीं कांग्रेस भी गठबंधन नहीं रहने पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर सके, इसके लिए अंदर ही अंदर तैयारी कर रही है। आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल इस बार उप चुनाव में अपना उम्मीदवार किसको बनाएंगे और क्या वे कांग्रेस के साथ गठबंधन रखेंगे, इसको लेकर पत्रिका ने उनसे विशेष बातचीत की।
गठबंधन नहीं हुआ तो तीन सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि उप चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन रहेगा या नहीं, इसका निर्णय दो-तीन दिन में कर लिया जाएगा। यदि गठबंधन रहा तो वे दो सीट की मांग करेंगे, जिसमें एक खींवसर व दूसरी देवली उनियारा है और गठबंधन नहीं रहा तो वे तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। खींवसर से उम्मीदवार बनाने के सवाल पर बेनीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी का उम्मीदवार जनता ही तय करेगी। जल्द ही पार्टी समर्थकों से चर्चा करके उम्मीदवार तय किया जाएगा।
भाजपा ने तैयार किया चार लोगों का पैनल

हालांकि भाजपा ने खींवसर से उम्मीदवार को लेकर अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जयपुर में चार लोगों का पैनल तैयार हो गया है, जिनमें से किसी एक को टिकट दिया जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में बेनीवाल के जीतने के बाद से ही उप चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। खींवसर सीट पर पहली जीत दर्ज करने के लिए भाजपा की संगठन स्तर पर खींवसर व नागौर जिला मुख्यालय पर कई बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें भाजपा के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी एवं राज्य सरकार के मंत्री तक शामिल हुए हैं।
कांग्रेस में भी दावेदारी कम नहीं

कांग्रेस से खींवसर में उम्मीदवार उतारने की जरूरत पड़ी तो कई लोग टिकट की कतार में हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि कांग्रेस व आरएलपी का गठबंधन रहेगा या नहीं, लेकिन कांग्रेस ने गठबंधन नहीं रहने पर उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर ली है। चुनाव को लेकर कांग्रेस ने संयोजक व सहसंयोजक के साथ अन्य पदाधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं। साथ ही गत दिनों जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में खींवसर में बैठक भी आयोजित की थी। कांग्रेस से टिकट लाने वालों की संख्या भी करीब आधा दर्जन है।
बेनीवाल के सांसद बनने से खाली हुई थी खींवसर सीट

2023 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने आरएलपी से चुनाव लड़ा था और भाजपा के रेवंतराम डांगा को हराकर चौथी बार विधायक चुने गए। इसके बाद बेनीवाल ने कांग्रेस से गठबंधन करके नागौर लोकसभा से सांसद का चुनाव लड़ा और भाजपा की ज्योति मिर्धा को हराकर लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। सांसद चुने जाने के बाद खींवसर सीट वापस रिक्त हो गई। वर्ष 2019 में भी बेनीवाल के सांसद चुने जाने के बाद खींवसर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें हनुमान बेनीवाल ने अपने छोटे भाई नारायण बेनीवाल को आरएलपी का उम्मीदवार बनाकर जीत दिलाई थी।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में मूण्डवा को हटाकर खींवसर को विधानसभा सीट बनाया गया था, तब हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के टिकट से चुनाव लडकऱ जीत दर्ज की। 2013 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से निर्दलीय चुनाव लडकऱ दूसरी बार जीत दर्ज की। इसके बाद 2018 में खुद की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर उससे चुनाव लड़ा और जीते। 2019 के लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा से गठबंधन करके सांसद का चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद खींवसर में हुए उप चुनाव में अपने भाई नारायण बेनीवाल को आरएलपी से चुनाव लड़वाया, जिसमें भाजपा का साथ था। किसान आंदोलन के दौरान हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया और 2023 के विधानसभा चुनाव में वापस खींवसर से विधानसभा का खुद चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बेनीवाल ने कांग्रेस से गठबंधन करके चुनाव लड़ा और जीते।

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